प्रस्तावना :-
भारत में भारतीय संविधान, सामाजिक नीति का मुख्य स्रोत है। संविधान को ध्यान में रखकर ही सामाजिक नीति बनाई जाती है। सामाजिक नीति मानव कल्याण मानव जीवन को प्रभावित करती है। यह सिद्धांतों और कानूनों से संबंधित है। सामाजिक नीति समस्याओं का समाधान करती है परिवर्तन लाती है।
सामाजिक नीति का अर्थ :-
सामाजिक नीति दो शब्द से मिलकर बना है- ‘सामाजिक’ एवं ‘नीति’। ‘समाजिक’ शब्द का तात्पर्य समाज से संबंधित है, ‘नीति’ शब्द का अभिप्राय है कि किसी उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सोच-समझकर लिया गया कदम है। समाजिक नियुक्ति समाज व सामाजिक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर बनाई गई नीति है। जो समाज के कल्याण विकास, सामाजिक परिवर्तन, समाज के सदस्यों का विकास एवं सेवाएं आदि से संबंधित है।
सामाजिक नीति की परिभाषा :-
सामाजिक नीति को और भी स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाओं का उल्लेख कर सकते हैं –
“सामाजिक नीतियों के सिद्धांतों एवं क्रियाएं इस प्रकार से रचित की जाती है, जो एक समाज में जीवन की संपूर्ण वास्तविकता को प्रभावित करती है।”
गिल
“सामाजिक नीति विशेष सामाजिक उद्देश्यों को समाप्त करने के लिए उपलब्ध संसाधनों पर नियंत्रण एवं प्रयोग तथा प्रभावपूर्ण इस्तेमाल के लिए बनाई जाती है।”
कुलकर्णी
“सामाजिक नीति समाज विज्ञान में अध्ययन क्षेत्र के एक अनुशासन के रूप में अथवा वास्तविक जगत के सामाजिक क्रिया के रूप में परिभाषित की जा सकती है।”
एल्काक
“सामाजिक नीति समिष्टवाद की राजनीति के रूप में एवं सामाजिक समस्याओं से निपटने में राज्य में हस्तक्षेप के अभ्यास के रूप में जानी जाती है |”
विलियम्स
“सामाजिक नीति उन दशाओं/परिस्थितियों की प्राप्ति से संबंधित है जिसमें यह समझा जाता है कि नागरिक अच्छा जीवन प्राप्त कर सके।”
आइडेन
सामाजिक नीति के उद्देश्य :-
सामाजिक नीति के मुलभुत एवं सर्वमान्य उद्देश्य निम्न है –
सामाजिक न्याय :-
सामाजिक निति का उद्देश्य समाज में सामाजिक न्याय को प्रभावी व सुनिश्चित करना है। सामाजिक न्याय के अंतर्गत समाज के सभी वर्ग के लोगों के हितों की रक्षा किया जाता है। सामाजिक नीति द्वारा समाज में आर्थिक, सामाजिक असमानता, व भेदभाव को समाप्त करने के लिए नीतियां बनाई जाती है।
सामाजिक परिवर्तन :-
सामाजिक नीति के द्वारा समाज में परिवर्तन लाया जाता है जिस समाज में विभिन्न प्रकार के समस्याओं व बुराइयों को खत्म करने का प्रयास किया जाता है और कुरीतियों को हटाया जाता है।
सामाजिक समस्याओं का समाधान :-
सामाजिक नीति के द्वारा समाज समाज में व्याप्त सामाजिक समस्याओं का समाधान करना है।
सामाजिक एकता :-
सामाजिक नीति के द्वारा समाज में सामाजिक तनाव व संघर्ष को कम करना है। समाज में विभिन्न धर्म, वर्गों और जातियों के लोग रहते हैं जो समाज में विद्यमान संसाधन का मिलकर उपयोग करते हैं। सामाजिक नीति के द्वारा सभी लोगों को समान अवसर प्रदान किया जाता है। जिससे सामाजिक एकता स्थापित होता है।
मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार :-
सभी नागरिकों के जीवन स्तर को सुधारना सामाजिक नीति का महत्वपूर्ण उद्देश्य है इसके अंतर्गत – स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा,आवास और रोजगार आदि है।
सामाजिक नीति के क्षेत्र :-
डिवरेक्स एवं कुक अनुसार 5s के अंतर्गत निम्न क्षेत्र है –
- समाजिक क्षेत्र :- स्वास्थ्य, शिक्षा, जल एवं स्वच्छ आवास
- सामाजिक बीमा :- पेंशन, बेरोजगारी भत्ता, बाधिता भत्ता
- समाजिक संरक्षण :- खाद्य सहायता, पूरक आहार, आय का हस्तांतरण
- समाजिक सेवाएं :- समाज समाज के कमजोर वर्ग और असुरक्षित वर्ग की देखभाल एवं सहायता करना
- सामाजिक अधिकार :- श्रमिकों, महिला एवं बाल अधिकार
इस प्रकार सामाजिक नीति के महत्वपूर्ण क्षेत्र निम्न है –
- सामाजिक सुरक्षा
- समाजिक देखभाल
- समाज कल्याण
- सामाजिक नियंत्रण
- स्वास्थ्य
- शिक्षा
- आवास
- पेंशन
- बेरोजगारी भत्ता
- न्याय
- पुनर्वास
- श्रम नियमन
सामाजिक नीति के लक्ष्य एवं कार्य :-
सामाजिक नीति के निम्न लक्ष्य हैं –
- वर्तमान कानूनों को अधिक प्रभावी बनाकर सामाजिक अयोग्यता को दूर करना।
- जन सहयोग और संस्थागत सेवाओं के द्वारा आर्थिक अयोग्यता को कम करना।
- सुधारात्मक एवं सुरक्षात्मक प्रयासों में वृद्धि करना।
- खण्डित व बाधितों को पुनर्स्थापित करना।
- पीड़ित मानवता के कष्टों और दु:खों को कम करना।
- शिक्षा-दीक्षा की समुचित व उपयुक्त व्यवस्था करना।
- जीवन स्तर की असमानताओं को कम करना।
- स्वास्थ्य एवं पोषण की स्तर को ऊँचा उठाना।
- व्यक्तित्व के विकास के लिए अवसरों को उपलब्ध कराना।
- परिवार कल्याण की सेवाओं में वृद्धि करना।
- सभी क्षेत्रों में संगठित रोजगार का विस्तार करना।
- कमजोर वर्ग के व्यक्तियों विशेष संरक्षण प्रदान करना।
- उचित कार्य की शर्तों तथा परिस्थितियों का आश्वासन दिलाना।
- कार्य से होने वाले लाभों का न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना।
सामाजिक नीति के निर्धारक तत्व :-
सामाजिक नीति राजनेताओं के धार्मिक विचारों एवं धर्म के द्वारा प्रभावित हो सकती है। सामाजिक नीति के निर्धारक तत्व निम्न हैं –
- राजनैतिक और सांस्कृतिक कारक
- परंपरा तथा परिवर्तन
- आर्थिक कारक
- अहंकार व अहंभाव
- अन्तर्राष्ट्रीय अनुदान
- परिवार
- उत्सव
- कठोर तथा व्यवस्थित अनुशासन एवं नियंत्रण
- लाल फीताशाही (जब अत्यधिक नियमों और नियंत्रण के कारण अनावश्यक देर किया जाता है तो इसे लाल फीताशाही कहते हैं।)
- अवैयक्तिक (सार्वजनिक) सम्बन्ध
- वेतन और पेंशन अधिकार
- अधिकारिक रिकार्ड
- विशेषज्ञता
सामाजिक नीति के स्रोत :-
सामाजिक नीति, मानव कल्याण को प्रेरित करने से सम्बन्धित जीवन की आवश्यक शर्तेँ का निर्माण करने और बनाए रखने व परिवर्तन लाने की निर्देश की ओर इंगित करता है । मानव कल्याण के लिए सामाजिक नीति को निम्नवत् स्रोतो का सहारा लेना पड़ता हैः –
- संविधान
- प्रशासन
- कानून विधान
- राष्ट्रीय योजनाएं
समाजिक नीति के प्रारूप :-
- कल्याणकारी प्रारूप
- सामाजिक सुरक्षा प्रारूप
- उदारीकरण प्रारूप
- प्रजातान्त्रिक प्रारूप
कल्याणकारी प्रारूप –
समाज कल्याण प्रारूप का आशय सामाजिक विकास के लिए बनायी गयी उन रणनीतियों से है । जिसके अन्तर्गत कल्याणकारी राज्य की अवधारणा दर्शायी होती है। कल्याणकारी राज्य का तात्पर्य ऐसे राज्य से है, जो समाज के सभी व्यक्ति समूह, समुदाय और एक व्यापक समाज प्रजाति, जाति, धर्म सब के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। कल्याणकारी राज्य समाज के सभी वर्गों के विकास की बात करता है | और साथ ही कमजोर और समस्या से ग्रसित लोगों के लिए विषश सुविधायें प्रदान करता है।
सामाजिक सुरक्षा प्रारूप –
समाज के माध्यम से एसी सुरक्षा और कानून प्रदान किये जाये जिससे समाज में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान की जा सके। सामाजिक सुरक्षा के तहत सामाजिक नीतियाँ को इस प्रकार बनायी जायेंगीं जिससे समाज के सभी वर्ग की सुरक्षा हो सके और समाज में समस्त समस्याओं का निदान किया जा सके। सामाजिक सुरक्षा में लोगों के विकास के लिए अनेक प्रकार की योजनाएं चलायी जाती हैं। जैसे – बीमा, कानून।
उदारीकरण प्रारूप –
उदारीकरण प्रारूप में ऐसी नीतियां बनायी जाती हैं कि समाज में हर वर्ग के लोग राज्य के माध्यम से चलाये गये कार्यक्रमों में प्रदान किये गये साधनों में सम्पूर्ण रूप से अपनी भागीदारी को निभा सके। उदारीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके अंतर्गत सरकार अपनी नीतियों को इस प्रकार से लागू करती है, जिससे कि लोगों के कार्य व्यवसाय आदि करने में कठिनाई न आये।
प्रजातान्त्रिक प्रारूप –
प्रजातान्त्रिक प्रारूप के अंतर्गत नीतियां इस प्रकार से बनायी जाती हैं कि उन नीतियों का लाभ राज्य के प्रत्येक लोगों को समूहों व समुदायों में से मिल सके। इस प्रारूप तहत कोई भी व्यक्ति कानून के दायरे में रहकर अपने व्यक्तित्व का सर्वागीण विकास कर सकें।
संक्षिप्त विवरण :-
सामाजिक नीति ऐसे सिद्धांतों, नियमों, कानूनों और कार्यक्रम से संबंधित है। जो मानव कल्याण में सहायक है | सामाजिक नीति समाज की बुराइयों व समस्या को दूर करने में मददगार होती है, और सामाजिक न्याय व सामाजिक परिवर्तन समाज में लाने का कार्य किया जाता है। सामाजिक नीति के अंतर्गत नागरिकों के कल्याण विकास के क्षेत्र में कार्य करना है।
FAQ
सामाजिक नीति की अवधारणा क्या है ?
सामाजिक नीति :- समाजिक नियुक्ति समाज व सामाजिक उद्देश्यों को ध्यान में रखकर बनाई गई नीति है । जो समाज के कल्याण विकास, सामाजिक परिवर्तन, समाज के सदस्यों का विकास एवं सेवाएं आदि से संबंधित है ।
सामाजिक नीति के उद्देश्य क्या है ?
सामाजिक नीति के मुलभुत एवं सर्वमान्य उद्देश्य निम्न है – १ सामाजिक न्याय, २ सामाजिक परिवर्तन, ३ सामाजिक समस्याओं का समाधान , ४ सामाजिक एकता, 5 मानव जीवन की गुणवत्ता में सुधार
सामाजिक नीति के क्षेत्र क्या है ?
डिवरेक्स एवं कुक अनुसार 5s के अंतर्गत निम्न क्षेत्र है – १ समाजिक क्षेत्र, २ सामाजिक बीमा, ३ समाजिक संरक्षण, ४ समाजिक सेवाएं, ५ सामाजिक अधिकार
सामाजिक नीति के स्रोत क्या है ?
सामाजिक नीति को निम्नवत् स्रोतो का सहारा लेना पड़ता हैः – संविधान, प्रशासन, कानून विधान, राष्ट्रीय योजनाएं
समाजिक नीति के प्रारूप
समाजिक नीति के प्रारूप :- कल्याणकारी प्रारूप, सामाजिक सुरक्षा प्रारूप, उदारीकरण प्रारूप, प्रजातान्त्रिक प्रारूप
सामाजिक नीति के कार्य एवं लक्ष्य क्या होते है ?
१ जीवन स्तर की असमानताओं को कम करना । २ परिवार कल्याण की सेवाओं में वृद्धि करना । ३ शिक्षा-दीक्षा की समुचित व उपयुक्त व्यवस्था करना । ४ सुधारात्मक एवं सुरक्षात्मक प्रयासों में वृद्धि करना ।
.Thank you so much itne saral tarike se explain karne ke liye please mujhe or bhi notes chahiye aise hi