अल्पसंख्यक किसे कहते है? alpsankhyak ka matlab
अल्पसंख्यक का मतलब उन लोगों से है जो संख्या में कम या अल्प हैं। मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिंधी, पारसी आदि को भी भारत में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है।
अल्पसंख्यक का मतलब उन लोगों से है जो संख्या में कम या अल्प हैं। मुसलमान, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, सिंधी, पारसी आदि को भी भारत में अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है।
भारतीय संस्कृति मिस्र, यूनान, रोम, सुमेर आदि की संस्कृतियों से भी पुरानी है। हमारी संस्कृति में आज भी हजारों साल पहले की वैदिक परंपरा के गुण विद्यमान हैं।
उपरोक्त परिभाषाओं से हम जनसांख्यिकी के आशय को समझ चुके हैं, जिसमें जनसंख्या के सभी निर्धारक तत्वों और उनके परिणामों का अध्ययन शामिल है।
सहकारी समिति व्यक्तियों का एक स्वैच्छिक संगठन है जो अपने आर्थिक हितों के लिए काम करते हैं। यह स्व-सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों पर काम करता है।
सामाजिक असमानता का संबंध जेंडर, प्रजाति और कई ऐसे आयामों से भी है जिनके आधार पर प्रत्येक समाज में जनसंख्या को विभिन्न स्तरों में बांटा जाता है।
किसी भी धर्म के अनुयायियों के समूह, मंडली, फिरका, मार्ग, पंथ, परंपरा, रीति-रिवाज, आचरण को संप्रदाय कहते हैं। संप्रदाय गुरु परंपरा पर आधारित एक संगठित संस्था है।
महानगर शब्द का अर्थ आम तौर पर ऐसे शहरों से होता है जिनमें एक ओर विशाल भूमि और जनसंख्या होती है, वहीं दूसरी ओर ये प्रमुख वाणिज्यिक और व्यापार केंद्र भी होते हैं।
वेबर के नौकरशाही सिद्धांत को शुरुआत में आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन धीरे-धीरे यह इतना लचीला हो गया कि इसे एक आदर्श सिद्धांत कहा जाने लगा।
नौकरशाही में कुछ अच्छी और कुछ बुरी बातें होती हैं, इसीलिए 'नौकरशाही' शब्द का प्रयोग अनादर और घृणा के साथ किया जाता है। नौकरशाही के गुण और दोष निम्नलिखित हैं-
भारत में नौकरशाही की भूमिका समाज में व्यवस्था बनाए रखने, उसे एकता के सूत्र में बांधने तथा विकास को गति देने में महत्वपूर्ण है।
नौकरशाही वह साधन है जिसके बिना राजनीतिक सत्ता काम नहीं कर सकती। यह राज्य के तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नौकरशाही का स्वरूप लोकतांत्रिक होता जा रहा है।
उद्विकास एवं प्रगति में अंतर है। दोनों ही परिवर्तन के अलग-अलग रूप हैं। उद्विकास एक वैज्ञानिक अवधारणा है, जबकि प्रगति एक नैतिक अवधारणा है।