आँकड़ों को एकत्रित करने तथा उनकी व्याख्या करने के बाद शोधकर्ता का सबसे महत्वपूर्ण कार्य उनके आधार पर प्राप्त निष्कर्षों का विवरण प्रस्तुत करना है।
भारत में जनजातीय विवाह संस्था अन्य देशों की जनजातियों की तरह सभ्य समाज से भिन्न है। प्रत्येक जनजाति की अपनी अलग संस्कृति होती है
वर्तमान समय में औद्योगीकरण, नगरीकरण, पश्चिमी शिक्षा, भौतिकवाद आदि के कारण ईसाई विवाह के क्रम में परिवर्तन आ रहा है। जिनमें से मुख्य है -
मुस्लिम विवाह को एक अनुबंध माना जाता है और कुरान इसका मुख्य स्रोत है। मुसलमानों में विवाह के लिए आमतौर पर "निकाह" शब्द का प्रयोग किया जाता है।
विवाह को एक धार्मिक संस्कार माना जाता है। विवाह के बाद ही कोई हिंदू धार्मिक क्रियाकलाप करने का हकदार होता है। अतः हिंदू विवाह का मुख्य उद्देश्य धार्मिक है।
मानदंड होने चाहिए क्योंकि कोई भी समाज मानदंडों के अभाव में कभी नहीं चल सकता। मानदंड समाज में व्यक्तियों के व्यवहार के संचालक होते हैं।
दोनों ही ऊँच-नीच की भावनाओं पर आधारित हैं, फिर भी दोनों के बीच कई मूलभूत अंतर हैं। जाति और वर्ग में अंतर इस प्रकार हैं :-
जाति व्यवस्था भारतीय सामाजिक संरचना की एक अनूठी और प्रसिद्ध विशेषता है। आर्य-पूर्व काल में भारतीय समाज में जाति व्यवस्था प्रचलित थी।
सामान्यतः हम मूल्यों को तीन भागों में बाँट सकते हैं, जिनकी संक्षेप में चर्चा यहाँ की गयी है, मूल्य के प्रकार निम्नलिखित हैं:-
अनुसंधान की सफलता के लिए वस्तुनिष्ठता एक पूर्वपेक्षित शर्त है। इसके अभाव में शोध द्वारा प्राप्त निष्कर्षों की विश्वसनीयता एवं प्रामाणिकता संदिग्ध हो जाती है।