सामाजिक नीति के सिद्धांत क्या है? मूल्य एवं विचार धारा

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  • Post last modified:अक्टूबर 30, 2023

सामाजिक नीति के सिद्धांत :-

डा. श्रीमती इंगा थार्सन ने इंटरनेशनल काउंसिल फॉर सोशल वेलफेयर के समक्ष अपने विचार व्यक्त करते हुए, सामाजिक नीति के सिद्धांत के 5 प्रमुख सिद्धांतों को रेखांकित किया है –

  • एकीकृत सामाजिक नीति का उद्देश्य आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना होना चाहिए ।
  •  आर्थिक विकास के लिए सामाजिक कारकों, सामाजिक स्थितियों और आवश्यकताओं का क्रमबद्ध तथा विस्तृत विश्लेषण प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए ।
  •  सामाजिक नीति के लक्ष्यों को ऐसे अवांछनीय सामाजिक कारकों के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए जो सामाजिक-आर्थिक विकास, औद्योगिकीकरण और नगरीकरण के कारण उत्पन्न होते हैं।
  • सामाजिक नीति के उद्देश्यों को उनकी उपयुक्तता, वास्तविक स्थिति, समानता, स्थानीय परिस्थितियों और अंतर्राष्ट्रीय मापदंडों के आधार पर निर्धारित किया जाना चाहिए।
  • यह सामाजिक नीति का यह कार्य होना चाहिए कि वह सामाजिक संरचनाओं, संस्थाओं, समितियों,सम्प्रेरकों और उनके विकास के दृष्टिकोण में पाई गई कमियों का निवारण और समाधान किया जा सके।

उपरोक्त के अलावा, सामाजिक नीति के अन्य सिद्धांत इस प्रकार हैं:-

  • प्रजातंत्र का सिद्धान्त एवं
  • राज्य का सिद्धान्त
  • स्वतंत्रता का सिद्धान्त
  • न्याय का सिद्धान्त
  • अधिकार का सिद्धान्त

सामाजिक नीति में मूल्य एवं विचार धारा :-

क्योंकि सामाजिक नीति का मुख्य उद्देश्य लोगों को सामाजिक न्याय प्रदान करके सर्वांगीण सामाजिक, आर्थिक विकास लाना है, इसलिए इसे प्रभावी बनाने के उद्देश्य से सामाजिक नीति में मानवीय मूल्यों और विचारधारा का होना आवश्यक है जिसे निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझा जा सकता है –

  • किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली में, राज्य को अपने कल्याणकारी रूप को प्रतिबिंबित करने के लिए इसके माध्यम से सामाजिक नीति तैयार करनी होती है ।
  • सामाजिक नीति के उचित निर्माण के लिए आवश्यक तथ्यों को एकत्र करने के लिए सामाजिक सर्वेक्षण और मूल्यांकन को उचित महत्व दिया जाना चाहिए ।
  • सामाजिक सेवाओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, मनोरंजन और निर्बल और कमजोर वर्गों और आसानी से शोषित वर्गों के लिए आवश्यक सेवाओं के बीच आवश्यक संतुलन स्थापित किया जाना चाहिए ताकि समाज का समुचित विकास संभव हो सके ।
  • राज्य को सामाजिक कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के प्रति अपने वर्तमान सौतेले व्यवहार को बदलना होगा और उन्हें वांछित सामाजिक स्वीकृति देनी होगी ।
  • राज्य को समाज कल्याण प्रशासन के क्षेत्र में सामाजिक कार्यकर्ताओं और अवैतनिक समाज कार्यकर्ताओं को एक उचित और सम्मानजनक स्थान देना है ।
  • राज्य में सामाजिक परिवर्तन की सतत प्रक्रिया के कारण सामाजिक परिस्थितियों में निरंतर परिवर्तन की पृष्ठभूमि में समाज सेवक, सामाजिक कार्यकर्ता, संस्थाओं के अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए उचित प्रशिक्षण की व्यवस्था करनी होगी ।
  • सामाजिक नीति को यह ध्यान में रखते हुए निर्धारित किया जाना चाहिए कि आर्थिक स्थितियों में तभी सुधार हो सकता है जब सामाजिक परिस्थितियों में वांछित परिवर्तन लाए जाएं ।

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सामाजिक नीति में मूल्य एवं विचार धारा क्या है ?

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