सामाजिक अंतःक्रिया क्या है? Social Interaction

प्रस्तावना :-

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जिसमें समूह में रहने की प्रवृत्ति अनादि काल से पाई जाती रही है। व्यक्ति अपने शारीरिक स्वरूप की विशेषताओं के फलस्वरूप संस्कृति का निर्माण करता है तथा ज्ञान, आविष्कार, कला, नैतिकता, प्रथा, परंपराएँ, जनरीतियों आदि का संचय कर मानव समाज की कल्पना को साकार करता है। संस्कृति के अंतर्गत हस्तांतरण की प्रक्रिया सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होती है।

समाज में अंतःक्रिया के बिना सहयोग, संघर्ष, प्रतिस्पर्धा, एकीकरण, प्रतिकूलन, सात्मीकरण जैसी किसी भी सामाजिक प्रक्रिया का होना संभव नहीं है। सामाजिक अंतःक्रिया भी सामाजिक संबंध से बनते हैं। जो समाज का मूल तत्व माना जाता है। सामाजिक अंतःक्रिया कभी भी शून्य में नहीं होता। इसके लिए एक माध्यम का होना जरूरी है।

सामाजिक अंतःक्रिया का अर्थ :-

अंतःक्रिया में भाषा या संकेतों के माध्यम से दो या दो से अधिक लोगों के बीच भावनाओं का आदान-प्रदान शामिल होता है। जब तक दो या दो से अधिक लोगों के बीच मौखिक, लिखित, प्रतीकात्मक रूप से भावनाओं का आदान-प्रदान नहीं होता, वे अंतःक्रिया नहीं कर सकते। किसी व्यक्ति द्वारा किये गये सभी प्रकार के कार्य अंतःक्रिया की श्रेणी में नहीं आते। अंतःक्रिया के अंतर्गत, दूसरी ओर से किसी प्रकार की प्रतिक्रिया अवश्य आनी चाहिए।

सामाजिक प्रक्रिया सामाजिक अंतःक्रिया के माध्यम से होती है, लेकिन प्रत्येक सामाजिक अंतःक्रिया में सामाजिक प्रक्रिया का होना आवश्यक नहीं है। उदाहरण के लिए, जब एक लड़का और लड़की बार-बार मिलते हैं, तो इसे सामाजिक अंतःक्रिया कहा जाता है, लेकिन जब दोनों के बीच दोस्ती की भावना पैदा होती है या दोनों के बीच संघर्ष की स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसे सामाजिक प्रक्रिया कहा जाता है।

सामाजिक अंतःक्रिया में संस्कृति, सामाजिक संरचना, नियम, संस्था शामिल हैं, जिसमें व्यक्ति रहता है। संकेतों के माध्यम से भावनाओं का आदान-प्रदान होता है। सामाजिक अंतःक्रिया में समाज में प्रचलित संकेतों के माध्यम से व्यक्तियों के बीच सांस्कृतिक तत्वों का आदान-प्रदान शामिल होता है।

सामाजिक अंतःक्रिया की परिभाषा :-

सामाजिक अंतःक्रिया पारस्परिक प्रभाव की एक प्रक्रिया है जिसमें लोग अन्तर-उद्दीपन और प्रतिक्रियाओं के माध्यम से एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं। विभिन्न विद्वानों ने इसे इसी प्रकार परिभाषित भी किया है।

“सामाजिक अंतःक्रिया से तात्पर्य व्यक्ति और व्यक्ति समूह तथा समूह और व्यक्ति के बीच पाए जाने वाले सभी प्रकार के सामाजिक संबंधों से है।”

गिलिन एवं गिलिन

“सामाजिक अंतःक्रिया वह पारस्परिक प्रभाव है जो व्यक्ति और समूह अपनी समस्याओं को हल करने और लक्ष्यों और समूह अपनी समस्याओं को हल करने और लक्ष्यों की पूर्ति की प्रयत्न में एक-दूसरे पर डालते हैं।”

ए. डब्ल्यू. ग्रीन

“सामाजिक अंतःक्रिया एक सामान्य प्रक्रिया है जिसके द्वारा दो या दो से अधिक व्यक्तियों में अर्थपूर्ण संपर्क स्थापित होता है जिसके परिणामस्वरूप व्यवहार में परिवर्तन हो जाता है, चाहे कम या ज्यादा मात्रा में हो ।”

एल्ड्रिज एवं मैरिल

“सामाजिक अंतःक्रिया द्विपक्षीय होती है जिसमें व्यक्तियों का व्यक्तियों पर प्रभाव पड़ता है और समूहों का समूह पर प्रभाव पड़ता है।”

पार्क एवं बर्गेस

इस प्रकार यह स्पष्ट है कि सामाजिक अंतःक्रिया दूसरे के व्यवहार को परस्पर प्रभावित करने की प्रक्रिया है, अर्थात व्यक्ति अपने परिवेश के विभिन्न पहलुओं से प्रभावित होने के साथ-साथ उन्हें प्रभावित भी करता है। ऐसी पारस्परिक उद्दीपन के परिणामस्वरूप ही सामाजिक अंतःक्रिया प्रदर्शित होता है।

अंतःक्रिया तात्कालिक उद्दीपन के अलावा पूर्व-अनुभवों और अपेक्षाओं से भी प्रभावित होती है। एक ही सामाजिक परिस्थिति का अलग-अलग लोगों पर असमान प्रभाव पड़ सकता है, जैसे किसी व्यक्ति की उपस्थिति से कोई खुश या नाखुश। इसके कई रूप हो सकते हैं, और किसी को प्रभावित करना, उसकी मदद करना, उससे प्रतिस्पर्धा करना, उससे प्यार करना या स्नेह करना आदि।

सामाजिक अंतःक्रिया की विशेषताएं :-

सामाजिक अंतःक्रिया में कुछ विशेषताएं पाई जाती हैं:-

  • सामाजिक अंतःक्रिया दो या दो से अधिक लोगों के बीच हो सकता है।
  • सामाजिक अंतःक्रियाओं में व्यक्तियों द्वारा सक्रिय व्यवहार किया जाना शामिल है।
  • सामाजिक अंतःक्रिया सामाजिक शिक्षा और सांस्कृतिक कारकों से भी प्रभावित होता है।
  • सामाजिक अंतःक्रिया न केवल व्यक्ति और व्यक्ति के बीच होता है, बल्कि व्यक्ति और समूह तथा समूह और समूह के बीच भी होता है।
  • सामाजिक अंतःक्रिया में एक व्यक्ति का व्यवहार दूसरे व्यक्ति के लिए उद्दीपन का काम करता है और उसका व्यवहार पहले व्यक्ति के लिए उद्दीपन का काम करता है।
  • सामाजिक अंतःक्रिया एक दोतरफा प्रक्रिया है। अर्थात एक व्यक्ति का प्रभाव दूसरे पर और दूसरे का प्रभाव पहले व्यक्ति पर भी पड़ता है। इसीलिए इसे पारस्परिक प्रक्रिया भी कहा जाता है।

सामाजिक अंतःक्रिया के तत्व :-

सामाजिक अंतःक्रिया के दो आधारभूत तत्व हैं –

सामाजिक संपर्क :-

सामाजिक संपर्क सामाजिक अंतःक्रिया का पहला चरण है। शारीरिक, भौतिक संपर्क के साथ-साथ रेडियो, पत्र, टेलीविजन और संचार के अन्य माध्यमों के बीच भी संचार स्थापित होता है। सामाजिक संपर्क इंद्रियों के माध्यम से स्थापित होते हैं और संवेदना की शक्ति इंद्रियों को प्रेरित करती है। सामाजिक संपर्क दो प्रकार के होते हैं –

प्रत्यक्ष संपर्क –

प्रत्यक्ष संपर्क के तहत व्यक्ति या समूह एक-दूसरे के शारीरिक संपर्क में रहकर उद्दीपन और प्रतिक्रिया करते हैं।

अप्रत्यक्ष संपर्क –

अप्रत्यक्ष संपर्क में आमने-सामने के बजाय किसी अन्य माध्यम से संपर्क शामिल होता है। जैसे पत्र, टेलीफोन, वीडियो कॉलिंग आदि के माध्यम से अंतःक्रिया बातचीत करना।

संचार :-

संचार अंतःक्रिया का एक महत्वपूर्ण तत्व है। संचार का अर्थ है अपने विचारों, बातों और भावनाओं को दूसरों तक पहुंचाना। गिलिन और गिलिन ने इसे दो भागों में विभाजित किया है।

पूर्ण संचार-

पूर्ण संचार वह संचार माना जाता है जब व्यक्ति जो व्यक्त करता है उसे दूसरा पक्ष भी ठीक उसी प्रकार समझता है। पूर्ण संचार की स्थिति में, सामाजिक अंतःक्रिया व्यवस्थित तरीके से होता है।

अपूर्ण संचार –

जब पहला पक्ष दूसरे पक्ष द्वारा व्यक्त इरादे को नहीं समझता है तो यह अपूर्ण संचार की स्थिति है। संचार स्थितिजन्य सापेक्ष है। एक ही क्रिया के अलग-अलग स्थितियों में अलग-अलग अर्थ हो सकते हैं। यूं तो मुस्कुराहट की व्याख्या अभिवादन, व्यंग्य, अपमान, खुशी आदि के रूप में की जा सकती है। संवाद के तहत बातचीत करने वाले लोगों में जागरूकता होना जरूरी है।

सामाजिक अंतःक्रिया के प्रकार :-

सामाजिक अंतःक्रियाओं को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। इन्हें व्यक्ति और व्यक्ति, व्यक्ति और समूह तथा समूह और समूह के बीच की अंतःक्रियाएँ कहा जाता है।

व्यक्ति और व्यक्ति के बीच अंतःक्रिया –

यदि एक व्यक्ति का दूसरे व्यक्ति पर और दूसरे का पहले व्यक्ति पर प्रभाव पड़ता है तो इसे व्यक्ति और व्यक्ति के बीच की अंतःक्रिया कहा जाता है। दो मित्रों, दो व्यक्तियों, शिक्षक-शिक्षार्थी, पिता-पुत्र क्रेता-विक्रेता आदि के बीच का व्यवहार इसके उदाहरण हैं। अगर दो लोगों के बीच अच्छे संबंध होंगे तो उनमें आपसी सहयोग भी मिलेगा। लेकिन अगर रिश्ता अच्छा नहीं है तो उनके बीच प्रतिस्पर्धा और संघर्ष आदि होते रहेंगे।

व्यक्ति और समूह के बीच अंतःक्रिया –

यदि व्यक्ति का प्रभाव समूह पर और समूह का प्रभाव व्यक्ति पर पड़ता है, तो इसे व्यक्ति और समूह के बीच की अंतःक्रिया कहा जाता है। उदाहरण के लिए, किसी व्यक्ति और उसके परिवार के बीच या किसी खिलाड़ी और उसकी टीम के बीच अंतःक्रिया इस श्रेणी में आएगी। व्यक्ति और समूह के बीच संबंध जितना घनिष्ठ होगा, अंतःक्रिया उतनी ही अधिक होगी।

समूह और समूह के बीच अंतःक्रिया –

यदि दो समूह या संगठन एक-दूसरे को प्रभावित करते हैं, तो इसे समूह और समूह के बीच की अंतःक्रिया कहा जाता है। उदाहरण के लिए, दो टीमों, दो संगठनों, दो पार्टियों, दो परिवारों और दो वर्गों का एक-दूसरे पर क्या प्रभाव पड़ता है। इसे एक समूह के बीच अंतःक्रिया कहा जाता है। परस्पर क्रिया करने वाले समूहों की संख्या दो से अधिक हो सकती है।

संक्षिप्त विवरण :-

सामाजिक व्यवहार व्यक्ति और सामाजिक परिस्थिति के बीच अंतःक्रिया के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है। सामाजिक परिस्थितियों में व्यक्तियों के बीच आदान-प्रदान को अंतःक्रिया प्रक्रिया कहा जाता है। सामाजिक अंतःक्रिया एक-दूसरे के व्यवहार को परस्पर प्रभावित करने की प्रक्रिया है, अर्थात व्यक्ति अपने परिवेश के विभिन्न पहलुओं से प्रभावित होने के साथ-साथ उन्हें प्रभावित भी करता है।

FAQ

सामाजिक अंतःक्रिया के प्रकार बताइए?

सामाजिक अंतःक्रिया का अर्थ क्या है?

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