प्रस्तावना :-
जब कोई शोधकर्ता नियोजन कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना चाहता है, तो वह मूल्यांकनात्मक अनुसंधान का उपयोग करके कार्यक्रमों का मूल्यांकन करता है। वास्तव में, ज्ञान अर्जन के दृष्टिकोण पर आधारित तीसरे प्रकार का सामाजिक अनुसंधान मूल्यांकनात्मक अनुसंधान है।
प्रसिद्ध सामाजिक विज्ञानी ऑगस्ट कॉम्टे ने कहा था कि समाज का विकास अपने आप होता है और अंत में समाज उस स्थिति में पहुँच जाता है जहाँ विकास की प्रक्रिया का नियंत्रण, निगरानी और संचालन मनुष्य द्वारा किया जाता है। मनुष्य अपने नियोजन कार्यक्रमों का मूल्यांकन करना चाहता है। मूल्यांकन अनुसंधान मनुष्य के इसी उद्देश्य की पूर्ति है।
मूल्यांकनात्मक अनुसंधान का अर्थ :-
मूल्यांकनात्मक अनुसंधान वह शोध है जिसके द्वारा समाज में प्रचलित गुणात्मक प्रकृति के तथ्यों एवं प्रवृत्तियों का अध्ययन एवं विश्लेषण तथा उनकी उपयोगिता का मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रकार का शोध प्राकृतिक सामाजिक परिवर्तनों और नियोजित सामाजिक परिवर्तनों दोनों की प्रकृति को समझने के लिए उपयोगी है।
विभिन्न सरकारें अपने विभिन्न संगठनों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम लागू करती हैं। ऐसे कार्यक्रमों की सफलता एवं प्रगति जानना आवश्यक प्रतीत होता है। यह आवश्यकता मूल्यांकनात्मक शोध से पूरी होती है।
मूल्यांकनात्मक अनुसंधान की परिभाषा :-
मूल्यांकनात्मक अनुसंधान को विभिन्न विद्वानों द्वारा परिभाषित किया गया है जो इस प्रकार हैं:
“मूल्यांकनात्मक अनुसंधान वास्तविक संसार में संपादित की गई ऐसी गवेषणा है जिसके द्वारा यह मूल्यांकन किया जाता है कि व्यक्तियों के किसी विशिष्ट समूह के जीवन में सुधार लाने के लिए जो कार्यक्रम बनाया गया, वह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में कहाँ तक सफल है।”
विलियमसन, कार्प एवं डालफिन
“मूल्यांकनात्मक अनुसंधान इस प्रकार के अनुसंधान के लिए प्रयोग किया जाने वाला एक सामान्य पद है, जो व्यक्तिगत कार्यक्रम उद्देश्यों के संदर्भ में सामाजिक कार्यक्रमों के प्रभावों का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।”
मनदीम
मूल्यांकनात्मक अनुसंधान की प्रविधियां :-
मूल्यांकनात्मक शोध के लिए व्यक्तिगत स्तर पर गुणात्मक तथ्यों का मूल्यांकन करने के लिए माप की कई माप पद्धतियाँ निर्धारित की गई हैं, जो मुख्य रूप से समाजशास्त्रीय क्षेत्र में अदृश्य सामाजिक तथ्यों का मूल्यांकन करती हैं। सामाजिक परिवर्तन और सुधार कार्यक्रमों की सफलता को मापने के लिए बड़े पैमाने पर अनुसंधान आयोजित किए जाते हैं। इसमें शोध के मूल्यांकन की निम्नलिखित प्रक्रियाएँ अपनाई जाती हैं:-
- सबसे पहले, समग्र के आकार को ध्यान में रखते हुए निर्देशन का चयन किया जाता है।
- निर्देशन के चयन के बाद साक्षात्कार, निरीक्षण एवं अवलोकन के माध्यम से संबंधित इकाइयों से संपर्क स्थापित किया जाता है।
- मूल्यांकन अनुसूची का उपयोग मूल्यांकनात्मक अनुसंधान पद्धति में भी किया जाता है।
- इस विधि में अनुमापन मूल्यों का भी उपयोग किया जाता है। मूल्यांकनात्मक अनुसंधान में माप मानों का निर्धारण करके ही मूल्यांकन किया जाता है।
मूल्यांकनात्मक अनुसंधान की समस्याएँ :-
मूल्यांकनात्मक शोध की कुछ समस्याएँ भी हैं जो इस प्रकार हैं:
- मूल्यांकनात्मक अनुसंधान के साथ पहली समस्या यह है कि कार्यक्रम की परिवर्तनशील प्रकृति के कारण मूल्यांकन में कोई निश्चितता नहीं होती है।
- मूल्यांकनात्मक अनुसंधान की दूसरी समस्या यह है कि अनुसंधान द्वारा परिणामों का मूल्यांकन तो किया जाता है, लेकिन कार्यक्रम की संगठनात्मक संरचना का परिणामों पर प्रभाव पड़ने में समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- मूल्यांकनात्मक अनुसंधान की तीसरी समस्या यह है कि कार्यक्रम के संचालक और मूल्यांकनकर्ताओं के बीच संबंधों की समस्या उत्पन्न होती है।
FAQ
मूल्यांकनात्मक अनुसंघान से क्या अभिप्राय है?
इस शोध के माध्यम से कार्यक्रमों के लक्ष्यों एवं उपलब्धियों का अध्ययन किया जाता है। साथ ही यह अंतर भी पता किया जाता है कि लक्ष्यों और उपलब्धियों में कितना अंतर था और अंतर के कारण क्या थे।