मानव व्यवहार के प्रकार  बताइए? Types of Human Behavior

मानव व्यवहार के प्रकार :-

मानव व्यवहार के प्रकार को मुख्यतः दो भागों में बाँटा गया है :-

सामान्य व्यवहार :-

Normal शब्द लैटिन शब्द Norma से लिया गया है। जिसका अर्थ बढ़ई के पैमाने से लिया गया था। जिस प्रकार बदाई अपने पैमाने से यह निर्धारित करता है कि यह मानक के अनुरूप है या नहीं। इस तरह यह देखने का प्रयास किया जाता है कि यह मानक के अनुरूप है या नहीं समाज में जो सामान्य है उसका कोई सार्वभौमिक मानक नहीं है। चूँकि कोई व्यवहार कहीं सामान्य माना जाता है तो वह दूसरे समाज में असामान्य भी हो सकता है।

असामान्य व्यवहार :-

ab उपसर्ग जोड़ने पर Normal शब्द Abnormal कहलाता है। जिसका अर्थ असामान्य है। असामान्य से तात्पर्य उस व्यवहार से है जो सामान्य से परे है।

बोरलो डूरंड के अनुसार सामान्य व्यवहार व्यक्ति के भीतर मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया की एक अवस्था है, जो कार्यों में व्यय और हानि से साहचर्यित होती है। यह एक ऐसी अनुक्रिया है जो प्रतिनिधिक या सांस्कृतिक रूप से प्रत्याशित है। निम्न कसौटी के आधार पर असामान्य व्यवहार देख सकते हैं।

सांख्यिकीय आवृत्ति की कसौटी –

वे सभी व्यवहार जो सांख्यिकीय रूप से औसत से अधिक विचलन करते हैं, असामान्य माने जाते हैं। और ये सामान्य व्यवहार में नहीं आते. उदाहरण के लिए, आईक्यू माप के तहत, किसी व्यक्ति की बुद्धि सामान्य बुद्धि से काफी भिन्न होती है, इस मानदंड का कोई वांछित मूल्य नहीं है।

मानक अतिक्रमण मानदंड –

प्रत्येक समाज का एक मानक होता है कि उसे उस समाज में क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए। यदि समाज के किसी सदस्य का आचरण मानक के अनुरूप हो तो वह सामान्य माना जाता है और यदि नहीं होता तो असामान्य होता है। कोई एक मानदंड नहीं है। एक व्यवहार एक समाज में सामान्य और दूसरे में असामान्य हो सकता है।

व्यक्तिगत व्यथा –

यदि व्यक्ति का व्यवहार ऐसा है कि उससे अधिक पीड़ा और यातना मिलती है तो वह असामान्य व्यक्ति की श्रेणी में आता है। विकृति के विषय से पीड़ित व्यक्ति को अधिक यातना सहनी पड़ती है। लेकिन मनोरोगी लोग कई तरह की असामाजिक गतिविधियां करते हैं, लेकिन उनमें कोई चिंता नहीं होता है।

सामान्य और असामान्य व्यवहार में अंतर :-

सामान्य और असामान्य व्यवहार के बीच मात्रात्मक और गुणात्मक अंतर होता है। दोनों व्यवहारों में अधिकांश अंतर मात्रात्मक रूप से पाए जाते हैं। सामान्य व्यवहार और असामान्य व्यवहार में अंतर मुख्यतः इस प्रकार है:

भावनात्मक परिपक्वता –

सामान्य व्यक्ति के अंदर गुस्सा, प्यार, नफरत और अन्य सामाजिक भावनाएं समय के साथ घर कर जाती हैं और भावनात्मक रूप से उसमें धैर्य की भावना प्रमुखता से देखी जाती है। किसी असामान्य व्यक्ति के क्रोध और घृणा की स्थिति यह स्पष्ट नहीं होती कि वह कब ऐसा करेगा और अन्य भावनात्मक क्रियाएं जो सामान्य व्यवहार से बिल्कुल अलग होती हैं।

विवेकपूर्ण व्यवहार –

सामान्य व्यक्ति को हमेशा इस बात का ज्ञान रहता है कि वह जो काम कर रहा है उसे किन परिस्थितियों में करना चाहिए, उसके द्वारा किया गया आचरण नैतिक और सही है या नहीं, लेकिन असामान्य व्यक्ति को अनैतिक और नैतिक का पूरा ज्ञान नहीं होता है कि उसे क्या करना चाहिए किस स्थिति में असामान्य व्यक्ति के भीतर हमेशा अनिर्णय की स्थिति बनी रहती है।

सामाजिक समायोजन

एक संतुलित व्यक्ति के पड़ोसियों, सहकर्मियों और आसपास के लोगों के साथ अच्छे संबंध होते हैं। वह रीति-रिवाजों, नियमों और विनियमों का सम्मान करता है, लेकिन असामान्य व्यक्ति इसका सामना करने में असमर्थ होता है, उसमें सहयोग और एकजुटता की भावना का अभाव होता है।

वास्तविकता का ज्ञान –

सामान्य व्यक्ति को हमेशा इस बात का ज्ञान रहता है कि किसी स्थिति में क्या करना सही है या गलत, वह कल्पना से दूर सत्य में जीता है, लेकिन असामान्य व्यक्ति अधिक कल्पना और भ्रम की स्थिति में रहता है। उन्हें सामाजिक मर्यादाओं का पूरा ज्ञान नहीं होता।

विचित्र और ऊट-पटांग व्यवहार –

सामान्य व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले व्यवहार में स्पष्टता, नियमितता, यथार्थवादिता आदि गुण पाये जाते हैं। वह विवेकपूर्ण, तार्किक एवं प्रासंगिक होता है, परंतु असामान्य व्यक्ति द्वारा किया गया व्यवहार असंयमित एवं बिना सिर-पैर का होता है। उनका व्यवहार बेतुका और हास्यास्पद है.

अप्रत्याशितता की कसौटी –

असामान्य व्यवहार किसी उद्दीपक के प्रति अप्रत्याशित प्रतिक्रिया है जो पर्यावरणीय तनाव उत्पन्न करती है, जैसे यदि कोई व्यक्ति अच्छी आर्थिक स्थिति के बावजूद अनावश्यक रूप से धन की आकांक्षा करता है, तो इसे असामान्य व्यवहार कहा जाता है।

अपना ख्याल –

एक सामान्य व्यक्ति ही अपनी देखभाल और सुरक्षा के लिए पर्याप्त है। इसका व्यक्तित्व संतुलित एवं स्वस्थ्य होता है। उसके द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया जाता जिससे उसके अस्तित्व को ख़तरा हो। एक असामान्य व्यक्ति के पास अपनी देखभाल करने के लिए पर्याप्त कौशल नहीं होता है। उसकी देखभाल का भार परिवार और समाज पर होता है। असामान्य लोगों में गलतियों के प्रति अपराध बोध नहीं होता।

FAQ

मानव व्यवहार के प्रकार लिखिए?

सामान्य और असामान्य व्यवहार में अंतर क्या है?

Share your love
social worker
social worker

Hi, I Am Social Worker
इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

Articles: 554

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *