सृजनात्मकता का अर्थ, सृजनात्मकता की विशेषताएं (creativity)

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  • Post last modified:मार्च 22, 2024

प्रस्तावना :-

हम में से प्रत्येक अद्वितीय है, इसलिए सभी प्राणियों में सृजनात्मकता क्षमता का स्तर समान नहीं होता है। हममें से कई लोगों में उच्च स्तर की रचनात्मक प्रतिभा होती है और ये लोग कला, साहित्य, विज्ञान, व्यवसाय, शिक्षण आदि जैसे विभिन्न मानवीय क्षेत्रों में दुनिया का नेतृत्व करते हैं।

अच्छी शिक्षा, अच्छी देखभाल, रचनात्मक अभिव्यक्ति के अवसरों का प्रावधान सृजनात्मकता को अंकुरित और पोषित करता है। इसमें माता-पिता, समाज और शिक्षक अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

वे बच्चों के पालन-पोषण और उनकी रचनात्मक क्षमताओं के विकास में मदद कर सकते हैं। इसलिए शिक्षा प्रक्रिया का उद्देश्य बच्चों में रचनात्मक क्षमताओं का विकास करना होना चाहिए।

सृजनात्मकता का अर्थ :-

सृजनात्मकता शब्द अंग्रेजी creativity शब्द का हिंदी अनुवाद है। सृजनात्मकता का अर्थ है रचना संबंधी योग्यता, नवीन उत्पाद की रचना। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से सृजनात्मक स्थिति अन्वेषणात्मक होती है।

सृजनात्मकता किसी व्यक्ति की एक नया विचार या नई वस्तु बनाने या नई वस्तु की खोज करने की क्षमता है। इसमें व्यक्ति की पहले से अर्जित ज्ञान को पुनर्गठित करने की क्षमता भी शामिल है।

सृजनात्मकता की परिभाषा :-

विभिन्न विद्वानों ने सृजनात्मकता की अवधारणा को अपने-अपने तरीके से परिभाषित करने का प्रयास किया है।

“सृजनात्मकता व्यक्ति की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह उन वस्तुओं या विचारों का उत्पादन करता है जो अनिवार्य रूप से नवीन या नयी तरह का हैं और और जिन्हें वह व्यक्ति पहले से न जानता हो।”

ड्रेवडहल

“सृजनात्मकता मौलिक परिणामों को व्यक्त करने की मानसिक प्रक्रिया है।”

क्रो एवं क्रो

“सृजनात्मकता मुख्यतः नवीन रचना या उत्पादन में होती है।”

जेम्स ड्रेवर

“किसी नई वस्तु का पूर्ण या आंशिक उत्पादन सृजनात्मकता है।”

स्टेगनर एवं कार्वोस्की

यदि हम इन परिभाषाओं का विश्लेषण करने का प्रयास करें तो ज्ञात होगा कि किसी नई वस्तु का निर्माण या नई वस्तु की खोज इन सभी परिभाषाओं का केंद्रीय तत्व है।  

सृजनात्मकता के तत्व :-

सृजनात्मकता के चार मुख्य तत्व इस प्रकार हैं:-

प्रवाह –

प्रवाह से तात्पर्य किसी समस्या के प्रति अधिक विचारों या प्रत्युत्तरों की प्रस्तुति से है। प्रवाह के भी चार भाग हैं-

  • वैचारिक प्रवाह
  • अभिव्यक्ति प्रवाह
  • साहचर्य प्रवाह
  • शब्द प्रवाह

लचीलापन –

लचीलेपन से तात्पर्य किसी समस्या के प्रति दी गई प्रत्युत्तरों या विकल्पों में लचीलेपन से है। अत: किसी व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किये गये विकल्प अथवा उत्तर एक-दूसरे से कितने भिन्न हैं?

मोलिकता –

मौलिकता का तात्पर्य व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत असामान्य या भिन्न उत्तरों या दूसरों द्वारा प्रस्तुत उत्तरों से है। इसमें यह देखा जाता है कि व्यक्ति द्वारा दिए गए उत्तर प्रचलित उत्तरों से कितने भिन्न हैं। मौलिकता मुख्य रूप से नवीनता से संबंधित है।

विस्तारण –

विस्तारण से तात्पर्य किसी दिए गए विचार या भावों की विस्तृत व्याख्या, व्यापक पूर्ति या गहन प्रस्तुति से है।

सृजनात्मकता की विशेषताएं :-

१. सृजनात्मकता सार्वभौमिक है। हममें से प्रत्येक में कुछ न कुछ रचनात्मकता अवश्य होती है।

२. हालाँकि सृजनात्मक योग्यताएं प्रकृति प्रदत्त हैं, उन्हें प्रशिक्षण या शिक्षा के माध्यम से विकसित किया जा सकता है।

३. सृजक वह व्यक्ति है जो अपने अहं को इस प्रकार व्यक्त करता है, यह मेरी रचना है, यह मेरा विचार है, मैंने इस समस्या का समाधान कर लिया है। इसलिए, रचनात्मक प्रक्रिया में अहंकार अंतर्निहित रहता है।

४. सृजनात्मक अभिव्यक्ति से किसी नई वस्तु का निर्माण होता है, लेकिन यह आवश्यक नहीं कि वह वस्तु पूर्णतः नई हो। सृजनात्मकता में एकमात्र बात यह है कि कोई वस्तु की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिये जिसके बारे में व्यक्ति को पहले से ही ज्ञान हो।

५.  सृजनात्मक अभिव्यक्ति का क्षेत्र बहुत व्यापक है। संगीत, चित्रकला, शिल्प, राजनीति और सामाजिक संबंध आदि का कोई भी क्षेत्र ऐसी अभिव्यक्ति का आधार बन सकता है, इसलिए जीवन समग्र रूप से सृजनात्मक अभिव्यक्ति के असंख्य अवसर प्रदान करता है।

६. कोई भी रचनात्मक अभिव्यक्ति रचनाकार के लिए खुशी और संतुष्टि का स्रोत होती है। सृजक जो देखता या अनुभव करता है उसे अपने तरीके से प्रकट करता है। सृजक अपनी रचना के माध्यम से स्वयं को अभिव्यक्त करता है। सृजक वस्तुओं, लोगों और घटनाओं को अपने तरीके से लिखता है।

अत: यह आवश्यक नहीं है कि रचना हर व्यक्ति को वही अनुभव और वही संतुष्टि प्रदान करे जो रचनाकार को प्राप्त हुई है।

सृजनात्मकता का निष्कर्ष :-

सृजनात्मकता का अर्थ किसी व्यक्ति विशेष की किसी नवीन विचार या वस्तु को बनाने, खोजने या उत्पादन करने की अद्वितीय संज्ञानात्मक योग्यता या क्षमता से है। सृजनात्मकता सार्वभौमिक है और इसे प्रशिक्षण के साथ-साथ प्रकृति द्वारा प्रदान किए जाने से भी विकसित किया जा सकता है। इसकी अभिव्यक्ति का क्षेत्र बहुत व्यापक है।

FAQ

सृजनात्मकता क्या है?

सृजनात्मकता के तत्व बताइए?

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Hi, I Am Social Worker इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

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