जनसंपर्क अनुसंधान क्या है? Public Relations (PR) research

जनसंपर्क अनुसंधान :-

वर्तमान समय में सभी संगठनों के प्रबंधकों के लिए जनसंपर्क अनुसंधान का महत्व पहले से अधिक बढ़ गया है। आज सभी उद्योगों के शीर्ष अधिकारी इस बात से चिंतित हैं कि आज जो जनता का समर्थन उनके पक्ष में है, वह कल क्या बदल सकता है और उनके व्यवसाय को नष्ट कर सकता है। यह जानने के लिए वह लगातार बाजार सर्वेक्षण, अनुसंधान पर ध्यान देते हैं।

आज जनता के सामाजिक व्यवहार का अध्ययन पारंपरिक रूप के बजाय जनसंपर्क अनुसंधान मॉडल विकसित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक ऑफ- संकलन पद्धति के जटिल उपयोग से शुरू हो गया है और इस माध्यम से प्राप्त डेटा नीति निर्माताओं के लिए वरदान साबित हो रहा है।

जनसंपर्क अनुसंधान के उद्देश्य :-

जनसंपर्क अनुसंधान तीन प्रकार के कार्यों को पूरा करता है। यह विभिन्न क्षेत्रों में जनमत के निर्माण एवं अध्ययन में सहायता करता है। किसी भी संगठन के बारे में शोध उस संगठन की आंतरिक स्थिति और उसकी नीतियों का अध्ययन है जो उसने संगठन के अंदर और बाहर संपर्क करने वाले लोगों के लिए बनाई है।

इसमें जनसंपर्क अधिकारी को यह देखना होता है कि आसपास क्या हो रहा है और लोग दी गई जानकारी पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। उन्हें कंपनी की ‘आंख’ और ‘कान’ बनकर काम करना होगा। इन सबका अध्ययन करके एक विचारधारा एवं कार्यक्रम का निर्माण किया जाता है। सबसे पहले संगठन के उद्देश्यों एवं नीतियों के आधार पर जनसंपर्क हेतु एक सकारात्मक कार्यक्रम बनाया जाता है।

प्रबंधन को स्पष्ट रूप से दिखाया जाता है कि जनसंपर्क किन समस्याओं का समाधान कर सकता है। वे कौन से कारण और परिस्थितियाँ हैं जो संगठन और कंपनी की प्रगति में बाधा बन रही हैं? कंपनी के बारे में जनता की क्या राय है?

इनमें से कई सवालों के जवाब और उनके समाधान अभिमत शोध के जरिए पूरे किए जा सकते हैं। शोधकर्ता नीति के बारे में कार्यकारी के उत्तराधिकारियों से परामर्श करके और कई प्रश्न पूछकर अपना शोध कार्य पूरा कर सकता है।

जनसंपर्क जनता को प्रभावित करने और राय बनाने की एक कला है। इतना ही नहीं, जनसम्पर्क यह भी जानने का प्रयास करता है कि जनता किस प्रकार सोचती है और किसी विशेष स्थिति तथा नीति पर किस प्रकार तथा किस प्रकार प्रतिक्रिया करती है। इन सभी बातों का वैज्ञानिक अध्ययन अधिक तथ्यात्मक आँकड़ों द्वारा प्राप्त किया जाता है।

अनुसंधान दृष्टिकोण निर्भर करता है (1) अनुसंधान की नीति, (2) स्रोत और धन, आदि, (3) प्रशिक्षण, (4) समस्याएं और अनुसंधान का क्षेत्र, (5) विधि और तकनीक, (6) जनसंपर्क अनुसंधान में परिणाम की सूचना एवं मूल्यांकन, जनता ने विकास की नीतियों एवं प्रक्रियाओं का कितना, कैसा स्वागत किया है तथा इन नीतियों एवं कार्यक्रमों के प्रति उनका लगाव कितना है। आदि का अध्ययन इसका उद्देश्य मुख्य करना है।

इस शोध की व्यावहारिकता नीति निर्माताओं, प्रशासकों और जनसंपर्क के लिए बहुत उपयोगी है। जनसंपर्क अनुसंधान न केवल जनसंपर्क की सीमा के विकास और इस विषय की समृद्धि के लिए किया जाता है, बल्कि यह नीति और कार्य द्वारा भी प्रतिपादित किया जाता है। संसाधनों की कमी को ध्यान में रखते हुए जनसंपर्क के किसी शोध संस्थान का समय पर सहयोग इन कार्यों में बहुत उपयोगी सिद्ध होता है।

इसके लिए जनसंपर्क के क्षेत्र में “सामूहिक अनुसंधान”, प्रेरणा अनुसंधान, जनमत अनुसंधान और बाजार अनुसंधान आदि का विशेष महत्व है। सरकारी जनसंपर्क के क्षेत्र में जनमत अनुसंधान का विशेष महत्व है। जैसे, बैंकों के राष्ट्रीयकरण पर जनता की क्या राय थी आदि, लेकिन ऐसे शोध कार्यों की उपयोगिता केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही है, लेकिन उद्योग और व्यापार में बाजार अनुसंधान जनसंपर्क विभाग का काम होगा।

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Hi, I Am Social Worker इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

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