शोध समस्या क्या है? What is the research problem?

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  • Post last modified:जुलाई 19, 2023

प्रस्तावना :-

किसी भी सामाजिक अनुसंधान में शोध समस्या का निर्धारण स्पष्ट एवं तर्कसंगत होना नितांत आवश्यक है। शोध समस्या का उचित चयन ही किसी भी सामाजिक शोध की नींव होती है और यह ध्यान रखना जरूरी है कि संपूर्ण शोध चरणबद्ध तरीके से और सामाजिक शोध की प्रामाणिकता के आधार पर किया जाना चाहिए, तभी वह शोध के दायरे में आता है।

एक बार शोध समस्या स्पष्ट रूप से परिभाषित हो जाए तभी इसे स्पष्ट शोध समस्या के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। शोध समस्या को कथन के रूप में समझाने के लिए शोध के चरण को अच्छी तरह से समझना बहुत जरूरी है।

शोध समस्या के चरणों को स्पष्ट रूप से समझने के लिए उसका व्यवस्थित ढंग से अध्ययन करना आवश्यक है, क्योंकि सामाजिक शोध में शोध समस्या के चयन में तर्क, सुव्यवस्था एवं गुणवत्ता का होना अति आवश्यक है। वह विषय या शोध समस्या जिस पर आपको शोध करना है।

अतः शोध समस्या का चयन ही शोध की आधारशिला है। यदि हम समस्या पर गौर करें तो यह प्रश्न सामने आता है कि समस्या की प्रकृति क्या है और दो या दो से अधिक चरों के बीच संबंध किस प्रकार का या कैसा है। हमें समस्या के चयन और उसके निरूपण में प्रस्तुत किये जाने वाले विवरणों के लिए एक व्यवस्थित ढाँचा तैयार करना होगा।

शोध समस्या का चयन एवं प्रतिपादन :-

यहां हम शोध समस्या के निर्धारण की प्रक्रिया से अवगत होंगे और इसके साथ ही शोध के चरणों के बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे, जिसका विवरण इस प्रकार है- ए. आइंस्टीन और एन. एनफील्ड के अनुसार, “इसका समाधान समस्या का समाधान अक्सर जरूरी होता है।”समस्या का प्रतिपादन अक्सर प्रायः इसके समाधान से आवश्यक है।”

समस्या के चयन के साथ-साथ समस्या से संबंधित अवधारणाओं, परिभाषाओं, वाक्य-विन्यास एवं परिकल्पनाओं का विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक है। सामाजिक शोध में शीर्षकों के चयन का क्षेत्र उतना ही व्यापक है जितना सामाजिक व्यवहार का, इसलिए शोध के विषय में तर्कसंगत होना बहुत जरूरी है। एक सामाजिक शोधकर्ता के लिए व्यक्तित्व और पर्यावरण दोनों का ज्ञान होना नितांत आवश्यक है।

अनुसंधान समस्या निर्माण के चरणों का विवरण इस प्रकार है:

  • समस्या का कथन
  • समस्या की प्रकृति
  • उपलब्ध साहित्य का पुनरावलोकन

इस प्रकार, किसी शोध के लिए शोध समस्या के चयन में विचार एकत्र करने के कई स्रोत हैं। जैसे लिखित सामग्री में व्यक्तियों के अनुभव, व्यक्तिगत बातचीत, तथ्य, मूल्य और सिद्धांत, शोध पुस्तकें, शोध विषयों से संबंधित विभिन्न पत्रिकाएँ शामिल होती हैं। इसके साथ ही यह भी ध्यान रखना जरूरी है कि जो व्यक्ति या शोधकर्ता शोध करने जा रहा है उसका व्यक्तित्व और पर्यावरण से जुड़े कारक भी शोध को प्रभावित करते हैं।

क्योंकि शोधकर्ता के अपने व्यक्तिगत मूल्य, विश्वास, मनोवृत्तियाँ और अभिरुचियां होती हैं और फिर एक शोध कार्य के लिए बहुत धैर्य, कड़ी मेहनत, दृढ़ता की आवश्यकता होती है।

इस प्रकार शोध समस्या या शोध शीर्षक के चयन के दौरान कुछ प्रश्नों के उत्तर ढूंढ़ना बहुत जरूरी है जैसे –

  • क्या उक्त शोध के विषय पर पूर्व में कोई कार्य किया गया है, यदि किया गया है तो क्या इसका लिखित दस्तावेज उपलब्ध है तथा क्या शोधकर्ता ने इसका अध्ययन किया है।
  • उक्त शोध की उपयोगिता क्या होगी? उक्त शोध का शीर्षक शोध योग्य है अथवा नहीं।
  • क्या यह शोध समाज के लिए उपयोगी होगा?
  • इस कार्य में विषय अनुसंधान असामाजिक नहीं है। क्योंकि अगर ऐसा है तो विरोध का भी सामना करना पड़ सकता है।

इस प्रकार शोध के कुछ घटक इस प्रकार हो सकते हैं:-

  • शोध में कौन शामिल होगा और इसका दायरा क्या होगा?
  • शोध का उद्देश्य क्या है?
  • अनुसंधान के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए क्या साधन उपलब्ध हैं?
  • वह पर्यावरण जिससे अनुसंधान संबंधित है (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शामिल)

संक्षिप्त विवरण :-

किसी भी सामाजिक अनुसंधान का अर्थ उन तथ्यों को उजागर करने के लिए पुन: शोध के माध्यम से शोध करना है जिन्हें आपने अपनी शोध समस्या के लिए चुना है। सामाजिक शोध करने के लिए सबसे पहली बात जो सामने आती है वह है उस पर शोध समस्या का चयन। समस्त शोध का केन्द्र बिन्दु ही केन्द्र बिन्दु होता है, अतः शोध समस्या के चयन में शोध समस्या को कुछ निश्चित मापदण्डों के आधार पर प्रस्तुत किया जाता है।

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