लघु परंपरा क्या है लघु परंपरा का अर्थ (laghu parampara)

  • Post category:Sociology
  • Reading time:4 mins read
  • Post author:
  • Post last modified:मार्च 14, 2024

लघु परंपरा का अर्थ :-

रेडफील्ड के अनुसार छोटे गाँवों में पाई जाने वाली जीविकोपार्जन की क्रियाएँ एवं शिल्प, गाँव तथा उससे सम्बन्धित संगठन तथा प्रकृति पर आधारित धर्म लघु परंपरा कहलाती हैं। यह छोटे लोगों की परंपरा है जो स्वयंसिद्ध मानी जाती है, इसमें विशेष रूप से परिष्कृत और सुधार नहीं किया जाता है।  

वे देवी-देवता, धार्मिक, रीति-रिवाज, अनुष्ठान, मेले, लोक गीत, लोक नृत्य, जादुई गतिविधियाँ और विविध सांस्कृतिक तत्व हैं जिनका वर्णन मुख्य रूप से पीढ़ी-दर-पीढ़ी मौखिक रूप से हस्तांतरित होते रहते हैं, ये लघु परंपरा के अंतर्गत आते हैं।

रेडफील्ड साधारण निरक्षर किसानों की परम्पराओं को लघु परम्परा कहते हैं। अशिक्षित कृषक समुदायों में जन्म लेते हैं और विकसित होते हैं और वहां स्थिरता प्राप्त करते हैं। मैकिम मैरियट ने कृषक समाज में पाई जाने वाली परम्पराओं को लघु परम्पराएं माना है। डॉ. योगेंद्र सिंह ने जनसाधारण, निरक्षर किसानों के स्तर पर होने वाली सांस्कृतिक प्रक्रियाओं को लघु परंपरा बताया है।

लघु परंपरा की परिभाषा :-

“लघु परंपराएँ स्थानीय अलिखित, अशास्त्रीय, कम व्यवस्थित और कम चिंतनशील होती हैं।”

डॉ0 बी0 आर0 चौहान

संक्षिप्त विवरण :-

इस प्रकार जिन परम्पराओं का शास्त्रों में उल्लेख नहीं है, जो अलिखित, अशास्त्रीय, कम व्यवस्थित, कम चिंतनशील और स्थानीय हैं, उन्हें लघु परम्पराएँ कहा जाता है। ये मौखिक रूप से स्थानांतरित किए जाते हैं और निरक्षर कृषक समुदाय में अधिक पाए जाते हैं।

अधिकांश लोग इनका वास्तविक अर्थ भी नहीं समझते फिर भी इनका पालन करते हैं। लोकगीतों और रीति-रिवाजों में इनकी झाँकी देखने को मिलती है। ये हमारी संस्कृति की निरंतरता और जीवंतता के आधार हैं, इसलिए उनका बहुत महत्व है।

social worker

Hi, I Am Social Worker इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

प्रातिक्रिया दे