वृहत् परंपरा क्या है वृहत् परंपरा का अर्थ (vrihat parampara)

  • Post category:Sociology
  • Reading time:4 mins read
  • Post author:
  • Post last modified:मार्च 14, 2024

वृहत् परंपरा का अर्थ :-

रेडफील्ड के अनुसार, वृहत् परंपरा का पालन-पोषण स्कूलों और मंदिरों में होता है। यह दार्शनिक, ब्रह्मज्ञानी और साहित्यिक मनुष्यों की परंपरा है जो सोच-समझकर घोषित और हस्तांतरित की जाती है।

वृहत् परंपरा का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा जा सकता है कि देवी-देवता, धार्मिक अनुष्ठान, रीति-रिवाज, मेले, त्यौहार, साहित्य, संगीत तथा विभिन्न सांस्कृतिक तत्व जिनका उल्लेख शास्त्रों, वेदों में लिखित रूप में मिलता है, वृहत् परंपरा के अंतर्गत आते हैं। वृहत् परंपरा अभिजात वर्ग के थोड़े-से दार्शनिक और विचारशील लोगों द्वारा किया जाता है और धीरे-धीरे सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों द्वारा अपनाई जाती है।

वृहत् परंपरा की परिभाषा :-

वृहत् परंपरा को और भी स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाओं का उल्लेख कर सकते हैं –

“यदि कोई परंपरा प्राचीन धार्मिक ग्रंथों में उल्लिखित व्यवहारों के अनुरूप हो और उसका प्रसार पूरे समाज में होता है, तो उसे वृहत् परंपरा कहा जाता है।”

मैकिम मैरियट

वृहत् परंपराओं का अर्थ उन विश्वासों, कर्मकांडों और सामाजिक प्रतिमानों की संयुक्तता से लिया जाता है जो नियमबद्ध और पवित्र ग्रंथों से संबंधित हैं।”

डॉ0 दूबे

संक्षिप्त विवरण :-

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि जिन परम्पराओं का उल्लेख हमें शास्त्रों, धर्म ग्रन्थों में मिलता है, जिनकी विषयवस्तु शास्त्रीय और सांस्कृतिक है, जो लिखित हैं, अधिक व्यवस्थित और चिंतनशील हैं और जो पूरे देश में फैली हुई हैं, वृहत् परम्पराएँ कहलाती हैं।

social worker

Hi, I Am Social Worker इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

प्रातिक्रिया दे