भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण का वर्णन करें?

भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण :-

भारत में अनेक प्रजातियों के लोग निवास करते हैं। रिजले ने सर्वप्रथम भारत में प्रजातीय तत्वों का अध्ययन किया और बाद में हट्टन, गुहा, मजूमदार, सरकार आदि विद्वानों ने भारत में पायी जाने वाली प्रजातियों के अध्ययन में विशेष रुचि दिखाई। भारत में पाई जाने वाली प्रजातियों की संख्या के बारे में विद्वानों में एक मत नहीं है। प्रमुख विद्वानों द्वारा भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण इस प्रकार है-

रिजले के अनुसार भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण :-

रिजले ने भारतीय जनसंख्या में निम्नलिखित प्रजातियों के तत्वों का उल्लेख किया है:-

  • द्रविड़ (Mongoloid) – इस प्रजाति को भारत की सबसे पुरानी प्रजाति माना जाता है। हालांकि यह प्रजाति अब स्वतंत्र रूप से मौजूद नहीं है, लेकिन इसके कुछ लक्षण कुछ जगहों पर देखे जा सकते हैं। इस प्रजाति के लोग ज्यादातर मद्रास, हैदराबाद, मध्य प्रदेश और नागपुर में पाए जाते हैं। इनका चौड़ा सिर, मोटे होंठ, चौड़ी नाक और गहरी काली त्वचा होती है। 
  • मोंगोलोएड (Mongolo-Dravidian) – इस प्रजाति के लोग ज्यादातर हिमालय के मैदानी इलाकों, असम और अरुणाचल प्रदेश में पाए जाते हैं। प्रजातियों की मुख्य विशेषताएं छोटी नाक, मोटे होंठ, लंबा और चौड़ा सिर, चपटा चेहरा, पीली या भूरी त्वचा आदि हैं।
  • मंगोल-द्रावेडियन (Mongolo-Dravidian) – इस प्रजाति के लोग ज्यादातर बंगाल और उड़ीसा में पाए जाते हैं।
  • आर्यो-द्रावेडियन (Aryo-Dravidian) – इस प्रजाति के लोग उत्तर प्रदेश, राजस्थान और बिहार में देखे जा सकते हैं।
  • साइथो-द्रावेडियन (Scytho-Dravidian) – इस प्रजाति के लोग मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में पाए जाते हैं।
  • इण्डो-आर्यन (Indo-Aryan) – इस प्रजाति के ज्यादातर लोग पंजाब, कश्मीर और राजस्थान में पाए जाते हैं।
  • तुर्को-इरानियन (Turko-Iranian) – इस प्रजाति के लोग उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत में पाए जाते हैं।

एसी हेडन अनुसार भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण :-

एसी हेडन ने भारत की जनसंख्या में निम्नलिखित प्रजातियों के तत्वों की उपस्थिति का उल्लेख किया है-

  • पूर्व-द्रविड़ियन (Pre-Dravidian)
  • द्रविड़ियन (Dravidian)
  • इंडो-अल्पाइन (Indo-Alpine)
  • मंगोलॉइड (Mongoloid)
  • इंडो-आर्यन (Indo-Aryan)

हट्टन के अनुसार भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण :-

हट्टन ने भारतीय प्रजातियों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया है:

  • नेग्रिटो (Negrito)
  • प्रोटो-ऑस्ट्रेलियाईड (Proto-Australoid)
  • मेडिटरेनियन (Mediterranean)
  • इंडो-आर्यन (Indo-Aryan)
  • अल्पाइन की आर्मेनोइड शाखा (Armenoid branch of Alpine)
  • मंगोलॉयड (Mongoloid)

गुहा के अनुसार भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण :-

गुहा के अनुसार भारत में निम्नलिखित प्रजातियों के तत्व देखे जा सकते हैं:-

  • नीग्रिटो (Negrito)
  • प्रोटो-ऑस्ट्रलॉइड (Proto-Australoid)
  • मंगोलॉयड (Mongoloid)
    • पैलियो मंगोलॉयड (Palaeo Mongoloid)
      • लंबे सिर वाले (Long headed)
      • ब्रॉड हेड (Broad headed)
    • तिब्बती मंगोलॉयड (Tibeto Mongoloid)
  • मेडिटेरेनियन  भूमध्यसागरीय (Mediterranean)
    • पैलियो मेडिटेरेनियन (Palaeo Mediterranean)
    • ओरिएंटल टाइप (Oriental type)
  • पश्चिमी ब्रैकीसेफेलिक (Western Brachy Cephalic)
    • अल्पिनोइड (Alpinoid)
    • डायनेरिक (Dinaric)
    • आर्मेनॉयड (Armenoid)
  • नॉर्डिक (Nordic)

संक्षिप्त विवरण :-

उपरोक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि भारत की जनसंख्या के निर्धारण में अनेक प्रजातियों का हाथ है। अलग-अलग समय और अवसरों पर ये विभिन्न प्रजातियाँ भारत में आये और एक-दूसरे के साथ घुल-मिल गईं। भारत में शुरू से ही सामाजिक व्यवस्था ऐसी रही है कि इसमें सभी को स्थान मिलता है। दुनिया की सभी प्रजातियां भी आपस में अच्छी तरह घुल-मिल गईं।

हम स्पष्ट रूप से कह सकते हैं कि भारत प्रजातियों का संग्रहालय है, प्रजातियों का समूह है। आज के समय में मनुष्य के कुछ ऐसे क्रिया और व्यवहार हैं, जिसके फलस्वरूप समाज में प्रजातिवाद की भावना भयंकर रूप से फैलती नजर आ रही है। इसलिए, प्रजातिवाद एक सामाजिक बीमारी है। लेकिन भारत इस बीमारी से प्रतिरक्षित है।

FAQ

भारत में सर्वप्रथम प्रजाति वर्गीकरण का प्रयास किसने किया?

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इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

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