पुरुषार्थ क्या है पुरुषार्थ का अर्थ, पुरुषार्थ का महत्व
पुरुषार्थ मानवीय गुणों को इस तरह से जोड़ता है कि यह भौतिक सुख-सुविधाओं और आध्यात्मिक विकास के बीच एक विशेष संतुलन बनाने में मदद करता है।
पुरुषार्थ मानवीय गुणों को इस तरह से जोड़ता है कि यह भौतिक सुख-सुविधाओं और आध्यात्मिक विकास के बीच एक विशेष संतुलन बनाने में मदद करता है।
संस्कार वह सशक्त साधन हैं जिनके माध्यम से व्यक्ति बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से परिष्कृत होकर समाज का पूर्ण विकसित सदस्य बन पाता है।
समाज के सदस्यों को कर्म एवं गुणों के आधार पर चार अलग-अलग समूहों में बाँटने की योजना शुरू की गई, वही वर्ण व्यवस्था कहलाई।
आश्रम व्यवस्था ने जीवन को चार स्तरों में विभाजित करके और प्रत्येक स्तर पर कर्तव्यों के पालन को निर्देशित करके मानव जीवन को व्यवस्थित किया है।
भारतीय सामाजिक संगठन की एक महत्वपूर्ण विशेषता या आधार कर्म का सिद्धांत है। इस सिद्धांत के अनुसार मानव जीवन का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य "कर्म" करना है।
नृवंशविज्ञान एक शोध पद्धति है जिसमें शोधकर्ता द्वारा किसी विशेष समुदाय या जनजाति के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की जाती है।
रेटिंग स्केल एक ऐसा उपकरण है जिसमें अक्षरों, संख्याओं, शब्दों या प्रतीकों की सहायता से लोगों में मौजूद गुणों का आकलन किया जाता है।
आइए इस ब्लॉग पोस्ट के माध्यम से मापन और मूल्यांकन में अंतर के बारे में जानें।
मूल्यांकन एक सतत प्रक्रिया है जो संपूर्ण शिक्षा प्रणाली का एक अभिन्न अंग है और मनोवैज्ञानिक और शैक्षिक उद्देश्यों से निकटता से संबंधित है।
अवधान एक चयनात्मक प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति शरीर का एक विशेष शारीरिक मुद्रा किसी वस्तु या उद्दीपक को चेतना के केंद्र से लाने के लिए तैयार होता है।