शिक्षित बेरोजगारी क्या है?
उच्च शिक्षा के विकास के साथ शिक्षित व्यक्तियों की संख्या में निरन्तर वृद्धि हो रही है। तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले व्यक्तियों (जैसे इंजीनियर) की संख्या भी बढ़ रही है। एक ऐसा शिक्षित वर्ग तैयार किया जा रहा है जिसमें दक्षता तो है लेकिन कोई उपयुक्त काम नहीं मिल पा रहा है। शिक्षित वर्ग में बेरोजगारी न केवल भारत में बल्कि अन्य सभी देशों में एक प्रमुख चिंता का विषय बनी हुई है। इसमें हम अर्ध-रोजगार को भी शामिल कर सकते हैं। इस प्रकार की बेरोजगारी में व्यक्ति को अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं मिल पाता है। अर्थात जब शिक्षित लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिल पाता है तो इसे शिक्षित बेरोजगारी कहते हैं।
उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति उच्च शिक्षा प्राप्त है और उसकी पूरी क्षमता है, लेकिन परिस्थितियों में चपरासी के रूप में काम कर रहा है, तो हम उसे अर्ध-बेरोजगार कहेंगे।
पिछले कुछ दशकों में भारत में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि हुई है। यह सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। इसका मुख्य कारण दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली और देश का तीव्र आर्थिक विकास न होना बताया जाता है। तकनीकी शिक्षा का अभाव, स्नातकों और परास्नातक की बहुतायत तथा शारीरिक श्रम के प्रति उदासीनता भी शिक्षित बेरोजगारी के प्रमुख कारण हैं। वास्तव में किताबी शिक्षा किसी व्यक्ति को अपना उद्योग स्थापित करने या व्यवसाय खोलने में मदद नहीं करती है।
शिक्षितों की बेरोजगारी दूर करने का एक मात्र उपाय शिक्षा की दोषपूर्ण व्यवस्था को समाप्त करना है। युवक-युवतियों को पुस्तक और साहित्यिक शिक्षा के साथ-साथ उद्योगों से संबंधित शिक्षा भी दी जानी चाहिए। इससे वे दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय अपने पैरों पर खड़े होंगे। उनके दिमाग में ऐसी अवधारणाएं विकसित की जानी चाहिए ताकि शिक्षा प्राप्त करने के बाद लोग अपना स्वतंत्र व्यवसाय करने में सक्षम हो सकें। शिक्षा का उद्देश्य प्रत्येक कार्य करने के लिए दूसरों की आवश्यकता महसूस न करके व्यक्ति को स्वतंत्र रूप से कार्य करने योग्य बनाना होना चाहिए।
व्यावसायिक शिक्षा पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। ग्रामीण युवाओं को ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए जो गांव के उत्थान के लिए हो फायदेमंद साबित हो सकता है। उच्च शिक्षा प्राप्त युवक-युवतियों को अपना उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। आज हमारे देश में एक बड़ी विचित्र बात यह है कि गांवों में खाली जगह हो गई है क्योंकि शहरों से बेरोजगार लोग इन जगहों पर जाना पसंद नहीं करते। ग्रामीण शिक्षित लोगों को ऐसी शिक्षा दी जानी चाहिए कि वे अपने गाँव में खेती करने में मदद कर सकें।
शिक्षित बेरोजगारी के उपाय :-
- शिक्षित लोगों की बेरोजगारी दूर करने के कुछ प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं:
- शिक्षितों को उद्योग लगाने के लिए ऋण दिया जाए।
- बेसिक शिक्षा का विस्तार होना चाहिए।
- स्नातकों में श्रम की भावना बढ़ानी चाहिए।
- देश का आर्थिक विकास तेजी से किया जाए ताकि रोजगार के अवसर बढ़ सकें।
FAQ
- बेसिक शिक्षा का विस्तार होना चाहिए।
- स्नातकों में श्रम की भावना बढ़ानी चाहिए।
- शिक्षितों को उद्योग लगाने के लिए ऋण दिया जाए।
शिक्षित बेरोजगारी किसे कहते हैं
जब शिक्षित लोगों को उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिल पाता है तो इसे शिक्षित बेरोजगारी कहते हैं।