प्रस्तावना :-
आधुनिक समाजों की संरचना और व्यक्तिगत मनोवृत्तियों में तेज़ी से परिवर्तन हो रहा है। यह निश्चित है कि इस परिस्थिति में सामाजिक समस्याओं के स्वरूप, तत्कालीन अवश्यकताओं और उपलबध साधनों को ध्यान में रखते हुये अनेक सामाजिक सर्वेक्षण के प्रकार आयोजित किये जाने लगे हैं।
सामाजिक सर्वेक्षण के प्रकार :-
- जनगणना और निदर्शन सर्वेक्षण
- पूर्वगामी और मुख्य सर्वेक्षण
- नियमित और कार्यवाहक सर्वेक्षण
- परिमाणात्मक और गुणात्मक सर्वेक्षण
- प्रारम्भिक और आवृत्तिमूलक सर्वेक्षण
- सार्वजनिक और गुप्त सर्वेक्षण
- प्राथमिक और द्वितीयक सर्वेक्षण
जनगणना और निदर्शन सर्वेक्षण :-
जनगणना सर्वेक्षण वह सर्वेक्षण है जिसमें किसी विषय या समस्या से सम्बन्धित सभी व्यक्तियों से सीधे सम्पर्क स्थापित करके सूचनाओं को जुटाया जाता है। यदि अध्ययन क्षेत्र छोटा हो तो ऐसा सर्वेक्षण वैयक्तिक अध्ययनकर्ता द्वारा ही किया जा सकता है। इसके विलोम यदि अध्ययन का क्षेत्र बहुत बडा होता है तो जनगणना सर्वेक्षण के लिये शोधकर्ताओं के एक समूह की आवश्यकता होती है, और ऐसा सर्वेक्षण खर्चीला होता है | इस स्थिति में जनगणना सर्वेक्षण किसी सरकारी संगठन द्वारा सम्पन्न किया जाता है।
जनगणना सर्वेक्षण से अलग निदर्शन सर्वेक्षण वह है जिसमें अध्ययन क्षेत्र के व्यापक होने और साधनों के सीमित होने की वजह से प्रत्येक इकाई का पृथक् रूप से अध्ययन करना सम्भव नहीं होता है। इस निदर्शन प्रणाली के द्वारा सम्पूर्ण समग्र में से कुछ प्रतिनिधि इकाईयों का चयन कर लिया जाता है | इन चयनित की गई इकाईयों से जो सूचनायें प्राप्त होती है,उन्हें उस सम्पूर्ण समूह या समुदाय की विशेषतायें मानकर निष्कर्ष निकाल लिये जाते हैं।
पूर्वगामी और मुख्य सर्वेक्षण :-
सभी मानवीय प्रयासों के समान सर्वेक्षण की रूप-रेखा भी आरम्भ से ही पूर्ण नहीं होती है। कोई भी सर्वेक्षण करने से पहले विषय से सम्बन्धित कुछ प्रारम्भिक ज्ञान प्राप्त करना जरुरी होता है। इस प्रकार पूर्वगामी सर्वेक्षण वह सर्वेक्षण है जो किसी विषय या समस्या की आरम्भिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आयोजित किया जाता है। ऐसा सर्वेक्षण बहुत सरल तथा संक्षिप्त प्रकृति का होता है।
पूर्वगामी सर्वेक्षण कर लेने के बाद सर्वेक्षण की जो वास्तविक प्रक्रिया शुरु की जाती है, उसी को हम मुख्य सर्वेक्षण कहते हैं। यह सर्वेक्षण अत्यधिक विस्तृत तथा व्यवस्थित होता है, जिसमें वैज्ञानिक स्रोतों के द्वारा सूचनाओं का संग्रह, वर्गीकरण और विश्छेषण करके सर्वेक्षण विवरण प्रस्तुत की जाती है, इसलिए यह कहा जा सकता है कि मुख्य सर्वेक्षण एक आधार है जबकि पूर्वगामी सर्वेक्षण इसका एक साधन है।
नियमित और कार्यवाहक सर्वेक्षण :-
नियमित सर्वेक्षण का अर्थ एक ऐसे सर्वेक्षण से है जो किसी समस्या या विषय से सम्बन्धित सूचनाएं एकत्रित करने के लिए लगातार या एक लम्बी अवधि तक चलता रहता है। ऐसे सर्वेक्षण का संचालन करने के लिए किसी स्थायी संस्था अथवा विभाग की आकयकता होती है।
इसके उलट कार्य-वाहक सर्वेक्षण वह है जो किसी तात्कालिक समस्या का अध्ययन करने के लिए किसी अस्थायी संगठन या वैयक्तिक अध्ययनकर्ता द्वारा आयोजित किया जाता है। ऐसे सर्वेक्षण के लिए किसी स्थायी संगठन या विभाग की आवश्यकता नहीं होती। जैसे ही सर्वेक्षण कार्य पूरा हो जाता है.सम्बन्धित संगठन भी भंग कर दिया जाता है। कार्यवाहक सर्वेक्षण सामान्यतया एक ऐसी स्थिति में आयोजित किये जाते हैं जब किसी विषय अथवा घटना से सम्बन्धित नीति का निर्धारण करना होता है, किसी विशेष स्थिति में जनता की राय को जानना जरूरी समझा जाता है अथवा एक समूह की भावनाओं के अनुसार किसी विकास कार्यक्रम को निष्पादित करना होता है।
परिमाणात्मक और गुणात्मक सर्वेक्षण :-
परिमाणात्मक सर्वेक्षण वह है जो किसी विषय से सम्बन्धित आंकडों को सांख्यिकीय रूप में पेश करने में इच्छुक होते है, तो इन्हें परिमाणात्मक सर्वेक्षण कहा जाता है। ऐसे सर्वेक्षणों में सांख्यिकीय पद्धति का प्रयोग करके परिणामों को प्रतिशत या अनुपात के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
सर्वेक्षण जब किसी गुणात्मक विषय या घटना से सम्बन्धित होता है, तो उसे गुणात्मक सर्वेक्षण कहा जाता है। ऐसे सर्वेक्षणों का उद्देश्य किसी विशेष समूह की स्वभाव, सामाजिक मूल्यों के प्रभाव, विचारों व सामाजिक परिवर्तन की सीमाओं आदि का अध्ययन करने में होता है।
प्रारम्भिक और आवृत्तिमूलक सर्वेक्षण :-
जब सर्वेक्षण किसी विशेष क्षेत्र में पहली बार हो रहा हो तब ऐसे सर्वेक्षण को प्रारम्भिक सर्वेक्षण कहा जाता है। ऐसे सर्वेक्षण से जो निष्कर्ष मिलते हैं उन्हीं को अन्तिम निष्कर्ष मान लिया जाता है। आम तोर पे ऐसे सर्वेक्षण उन विषयों से सम्बन्धित होते है, जिनमें लंबी अवधि तक कोई विशेष परिवर्तन नहीं होता तथा जिनका अध्ययन क्षेत्र तुलनात्मक रूप से सीमित होता है।
अगर अध्ययन से सम्बन्धित विषय या संपूर्ण की प्रकृति परिवर्तनशील होती है, तो एक ही विषय पर एक से अधिक बार सर्वेक्षण करने की जरुरत होती है। जिससे परिवर्तित हुई दशाओं के परिपेक्ष्य में आवश्यक सूचनायें एकत्र की जा सकें। ऐसे सर्वेक्षण को हम आवृत्तिमूलक सर्वेक्षण कहते हैं क्योंकि इसमें सर्वेक्षण की पुनरावृत्ति की जाती रहती है।
सार्वजनिक और गुप्त सर्वेक्षण :-
सार्वजनिक सर्वेक्षण एक सामान्य सर्वेक्षण है इसका सीधा सम्बन्ध जन-सामान्य के जीवन तथा उसकी समस्याओं से होता है। इस दृष्टि में सार्वजनिक सर्वेक्षण की सम्पूर्ण कार्यवाही किसी समूह या जनता के सामने पूरी तरह से स्पष्ट होती है। ऐसे सर्वेक्षण की विवरण भी जनता की सूचना के लिए प्रकाशित कर दी जाती है।
इसके विरुद्ध कुछ सूचनायें ऐसी होती हैं जिनको सीधे रूप से जनता में सार्वजनिक करना राष्ट्र के हित में नहीं होता, ऐसे विषयों से सम्बन्धित सभी सर्वेक्षण गुप्त सर्वेक्षण कहलाते हैं।
प्राथमिक और द्वितीयक सर्वेक्षण :-
प्राथमिक सर्वेक्षण एक प्रत्यक्ष सर्वेक्षण है इसके अन्तर्गत सर्वेक्षक स्वयं ही उत्तरदाताओं से सम्पर्क स्थापित करता है, और आवश्यक सूचनायें इकटा करता है। साधारणतया किसी भी नये विषय पर अध्ययन करने के लिये प्राथमिक सर्वेक्षण का ही प्रयोग किया जाता है।
अगर अध्ययन विषय इस प्रकार का हो जिस पर पहले से ही अध्ययन किये जा चुके हो और उनके निष्कर्षा का सत्यापन करने की आवश्यकता महसूस की जा रही हो तब द्वितीयक सर्वेक्षण उपयोग किये जाते है। द्वितीयक सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं से नये सिरे से सूचनायें एकत्रित करने की जरुरत नहीं होती बल्कि पहले एकत्रित किये गये तथ्यों का ही नये सिरे का मूल्यांकन किया जाता है।
FAQ
सामाजिक सर्वेक्षण के प्रकार की विवेचना कीजिए ?
- जनगणना और निदर्शन सर्वेक्षण
- पूर्वगामी और मुख्य सर्वेक्षण
- नियमित और कार्यवाहक सर्वेक्षण
- परिमाणात्मक और गुणात्मक सर्वेक्षण
- प्रारम्भिक और आवृत्तिमूलक सर्वेक्षण
- सार्वजनिक और गुप्त सर्वेक्षण
- प्राथमिक और द्वितीयक सर्वेक्षण