नगरीकरण, नगरीयता और नगरवाद में अंतर :-
नगरीकरण, नगरीयता और नगरवाद को एक ही स्वरूप माना जाता है, जबकि इनमें बहुत अंतर है। नगरीकरण, नगरीयता और नगरवाद में अंतर स्पष्ट करने के लिए अनेक समाजशास्त्रियों ने अपने विचार प्रस्तुत किये हैं, जो इस प्रकार हैं:-
- नगरीकरण शहरों के निर्माण में मदद करता है जबकि नगरीयता व्यक्ति के व्यवहार को निर्धारित करता है और नगरवाद व्यवहार की विशेषताओं की व्याख्या करता है।
- नगरीकरण प्रवासन का परिणाम है, जबकि नगरीयता और नगरवाद के माध्यम से, शहरी व्यवहार और जीवन शैली को अपनाया जाता है जो हमेशा बदलते रहते हैं।
- नगरीकरण एक ओर विकास और प्रगति की व्याख्या करता है। साथ ही, नगरीयता व्यक्ति की जीवन शैली में परिवर्तन की व्याख्या करता है और नगरवाद व्यक्ति को उन परिवर्तनों के साथ समायोजित करने की प्रक्रिया की व्याख्या करता है।
- नगरीकरण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में जनसंख्या की गतिशीलता की व्याख्या करता है। जबकि नगरीयता का तात्पर्य नगर में रहने वाले लोगों के जीवन-पद्धति से है तथा नगरवाद नगरीयतता एवं नगरीकरण की प्रक्रिया से उत्पन्न परिस्थितियों की व्याख्या करता है।
- नगरीकरण एक ऐसी प्रक्रिया है जो किसी स्थान की शहरी विशेषताओं को ग्रहण करती है जबकि नगरीयता एक जीवन पद्धति है। जिसमें व्यक्ति नगरीय जीवन को अपनाता है जबकि नगरवाद नगरीयता को रेखांकित करता है अर्थात् व्यक्ति अपने व्यवहार में किन आदतों को सम्मिलित करता है तथा नगरीयता की विशेषताओं को अपनाता है।
इस प्रकार, यह कहा जा सकता है कि नगरीकरण, नगरीयता और नगरवाद अलग-अलग अवधारणाएँ हैं।