प्रत्यक्षवाद क्या है प्रत्यक्षवाद की विशेषताएं pratyaksh vad
फ्रांसीसी विचारक ऑगस्टे कॉम्टे को प्रत्यक्षवाद का जनक कहा जाता है। वास्तव में, प्रत्यक्षवाद कॉम्ट के अध्ययन की पद्धति है। जो वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है।
फ्रांसीसी विचारक ऑगस्टे कॉम्टे को प्रत्यक्षवाद का जनक कहा जाता है। वास्तव में, प्रत्यक्षवाद कॉम्ट के अध्ययन की पद्धति है। जो वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है।
संदर्भ समूह वे समूह हैं जिनसे व्यक्ति अपने को समूह के अंग के रूप में संबंधित करता है। या मनोवैज्ञानिक रूप से संबंधित होने की आकांक्षा करता है।
आदर्श प्रारूप एक वैचारिक निर्माण है जो अन्वेषक को वास्तविक घटनाओं में समानता और अंतर को समझने में मदद करता है। यह तुलनात्मक अध्ययन की एक मौलिक विधि है।
स्थानीयकरण एवं सार्वभौमिकरण में अंतर इस प्रकार हैं :-
मैकिम मैरियट सार्वभौमिकरण की प्रक्रिया को एक ऐसी स्थिति के रूप में किया है जिसमें स्थानीय और लघु परंपराएँ धीरे-धीरे वृहत् परंपराएँ बनाती हैं।
जब गांव की स्थानीय विशेषताएं वृहत् परंपरा में शामिल होने लगती हैं तो हम इस प्रक्रिया को स्थानीयकरण या ग्राम्यीकरण की प्रक्रिया कहते हैं।
भारत में वृहत् और लघु दोनों ही परंपराएं बहुत प्राचीन हैं और दोनों की अपनी-अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं। वृहत् परंपरा और लघु परंपरा में अंतर निम्नलिखित है :-
वृहत् परंपरा अभिजात वर्ग के थोड़े-से दार्शनिक और विचारशील लोगों द्वारा किया जाता है और धीरे-धीरे सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों द्वारा अपनाई जाती है।
छोटे गाँवों में पाई जाने वाली जीविकोपार्जन की क्रियाएँ एवं शिल्प, गाँव तथा उससे सम्बन्धित संगठन तथा प्रकृति पर आधारित धर्म लघु परंपरा कहलाती हैं।
समाज में प्रचलित विचारों, रूढ़ियों, मूल्यों, विश्वासों, धर्मों, रीति-रिवाजों आदि के संयुक्त रूप को मोटे तौर पर परंपरा कहा जा सकता है।
जजमानी व्यवस्था में सभी विषयों का कार्यक्षेत्र एक समान नहीं होता, परन्तु उनकी सेवाओं की प्रकृति के अनुसार यह क्षेत्र कमोबेश विस्तृत होता है।
भारत में पाई जाने वाली प्रजातियों की संख्या के बारे में विद्वानों में एक मत नहीं है। प्रमुख विद्वानों द्वारा भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण इस प्रकार है-