अल्पकालिक स्मृति क्या है अल्पकालिक स्मृति के प्रकार

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  • Post last modified:मार्च 11, 2024

अल्पकालिक स्मृति :-

स्मृति प्रणाली की दूसरी अवस्था को अल्पकालिक स्मृति कहा जाता है। प्राचीन दार्शनिक विलियम जेम्स ने इसे प्राथमिक स्मृति का नाम दिया था। जब सूचना संवेदी अवस्था से स्मृति प्रणाली की दूसरी अवस्था में प्रवेश करती है, तो उन्हें अल्पकालिक स्मृति कहा जाता है।

अल्पकालिक स्मृति की अवधि अपेक्षाकृत ही कम है। इसकी अवधि अधिकतम एक मिनट मानी जाती है। इस स्तर पर, सीखी गई सामग्रियों का प्रक्रमण अक्सर कम हो जाता है, जैसे कूटसंकेत, अव्यक्त अभ्यास, नामकरण और विश्लेषण आदि।

इसके कारण विस्मरण भी तेज गति से होती है। फिर भी विस्मरण संवेदी स्मृति की तुलना में धीमी गति से होती है। यदि प्रक्रमण प्रक्रियाओं को सक्रिय किया जाता है, तो यह स्मृति मजबूत होने लगती है और दीर्घकालिक स्मृति में परिवर्तित हो जाती है। ऐसा माना जाता है कि अल्पकालिक स्मृति की स्थिति में विस्मरण अक्सर स्मृति चिन्हों के विस्थापन के कारण होती है।

अल्पकालिक स्मृति की परिभाषा :-

अल्पकालिक स्मृति को और भी स्पष्ट करने के लिए कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाओं का उल्लेख कर सकते हैं –

“अल्पकालिक स्मृति तात्पर्य ऐसी स्मृति से है जिसमें संवेदी सूचनाएँ लगभग 15-20 सेकंड तक पुरनर्स्मरण के लिए उपलब्ध होती हैं। अर्थात् इसकी अवधि भी कम ही होती है।”

रैथम

“अल्पकालिक स्मृति की क्षमता अपेक्षाकृत सीमित होती हैं, लगभग सात एकांशों की क्षमता होती हैं।”

ए. एस. रेबर

“अल्पकालिक स्मृति वह स्मृति प्रणाली है जो सामग्री (सूचना) को लगभग एक मिनट तक संचित किये रहती है, इसकी भंडारण क्षमता कम होती है और जिसमें सामग्रियों का प्रक्रमण दीर्घकालिक स्मृति की तुलना में अपेक्षाकृत कम होता है।”

ग्लीटमैन

“अल्पकालिक स्मृति उस स्मृति को कहते है जिसकी सत्ताकाल छोटा होता है और जिसकी क्षमता भी सीमित होती है।”

चैपलिन

अल्पकालिक स्मृति की विशेषताएं :-

कुछ विशेष कारक अल्पकालिक स्मृति को प्रभावित करते हैं। इन्हें अल्पकालिक स्मृति की विशेषताओं के रूप में भी जाना जाता है।

अवरोध का प्रभाव –

अल्पकालिक स्मृति भी अग्रोन्मुख और पृष्ठोन्मुख अवरोध से प्रभावित होती है। मर्डॉक ने इसी आधार पर पीटरसन और पीटरसन के प्रयोग पर आपत्ति जताई। इसकी पुष्टि अण्डस्वुड के अध्ययन से भी होती है।

अभ्यास से अल्पकालिक स्मृति में वृद्धि –

अल्पकालिक स्मृति की मात्रा में अभ्यास के अवसर बढ़ने से वृद्धि होती है। इसमें प्रत्यक्ष अभ्यास और अव्यक्त अभ्यास दोनों ही सहायक माने जाते हैं। पीटरसन और पीटरसन, एबिंगहास और पोस्टमैन के प्रारम्भिक प्रयोग के परिणाम इसकी पुष्टि करते हैं।

प्रलोभन का प्रभाव –

धारणा की जांच करने का अवसर देने पर प्रलोभन और पुरस्कार की व्यवस्था करने से अल्पकालिक स्मृति की मात्रा बढ़ जाती है।

प्रयासों के बीच अंतराल –

यह भी पाया गया है कि यदि प्रयासों के बीच का अंतराल लंबा हो तो अल्पकालिक स्मृति अधिक प्राप्त होती है। इससे स्मृति चिन्हों को संगठित करने का अवसर मिलता है और धारणा प्रतिशत बढ़ता है।

धारणा में द्रुत हास –

अल्पकालिक स्मृति को भूलने की गति अपेक्षाकृत तेज़ होती है क्योंकि उनमें भंडारण और कूट संकेतन की प्रक्रियाएँ सन्निहित नहीं होती हैं। यह कथन पीटरसन और पीटरसन के प्रयोग से समर्थित है।

अल्पकालिक स्मृति के प्रकार :-

अल्पकालिक स्मृति दो प्रकार की मानी गई है :-

तात्कालिक स्मृति –

अधिगम की किसी परिस्थिति में, एक व्यक्ति एक समय में जितने अंकों या अक्षरों को सही ढंग से दोहरा लेता है, उसे तात्कालिक स्मृति कहा जाता है। इसे अवधान विस्तार प्रयोगों द्वारा आसानी से मापा जा सकता है।

इसमें अंक या अक्षर समूह प्रस्तुत किये जाते हैं। इनमें संख्या अलग-अलग होती है। उन्हें सुनने के तुरंत बाद प्रयोज्यता दोहराई जाती है। आम तौर पर लोग 7, 2 (सात धन या ऋण दो) अंक तक दोहराते हैं। इसीलिए इसे “जादुई अंक सात” भी कहा जाता है।

क्रियात्मक स्मृति –

यह स्मृति ही है जो सूचना की इस तरह जांच करती है कि उसका स्वरूप बदल जाता है। बैडले का मानना है कि अल्पकालिक स्मृति में कुछ विशेष प्रकार की प्रक्रियाएँ सक्रिय होती हैं। यह सिर्फ एक अस्थायी भंडारण प्रणाली नहीं है।

इसमें सूचनाओं का सम्पोषण होता रहता है और “सक्रिय अवधान नियन्त्राक” इस कार्य में मदद करता है। दृश्य और श्रवण जानकारी के लिए अलग-अलग तंत्र हैं। उनमें से, वह प्रणाली जो श्रवणात्मक संबंधी सूचनाओं का सम्पोषण करने वाले तन्त्र को ध्वनिग्रामीय लूप कहलाती है।

अल्पकालिक स्मृति का अध्ययन :-

अल्पकालिक स्मृति के अध्ययन में दो विधियों का उपयोग किया जा सकता है :-

उचाट या विकर्षण तकनीक –

इस विधि का विकास पीटरसन एवं पीटरसन द्वारा किया गया है। इसमें व्यंजनों से निर्मित पद या सार्थक पद को एक सेकंड के अंतराल पर प्रस्तुत किया जाता है। फिर विश्राम देते हैं। लेकिन विश्राम में मानसिक अभ्यास को रोकने के लिए उलटी गिनती गिनवाते है। इसे अन्तर्वेशी कार्य कहा जाता है।

इसके बाद विभिन्न अंतरालों पर पुनर्स्मरण कराया जाता है। अलग-अलग अंतराल पर प्राप्त पुरर्स्मरणों की मात्राओं की तुलना करके स्मृति या पुनर्स्मरण का आकलन किया जा सकता है। ब्राउन ने भी इसी पद्धति के आधार पर कार्य किया है। इस कारण इसे ब्राउन-पीटरसन तकनीक भी कहा जाता है।

छानबीन तकनीक –

इस विधि में अधिगम सामग्री को एक-एक करके प्रस्तुत किया जाता है। इसके बाद बीच-बीच के पद प्रदर्शित करते हैं और प्रयोज्य से पूछा जाता है कि उसके बाद कौन सा शब्द या पद आना चाहिए।

प्रयोज्य को बाद में प्रदर्शन का क्रम ज्ञात नहीं रहता है। वह याददाश्त अथवा अनुमान के आधार पर बोलता है। इसीलिए इसे छानबीन या जाँच तकनीक कहा जाता है। इसमें अन्तर्वेशी कार्य नहीं दिया जाता है।

FAQ

तात्कालिक स्मृति क्या है?

क्रियात्मक स्मृति क्या है?

अल्पकालिक स्मृति की अवधि होती है?

अल्पकालिक स्मृति के प्रकार बताइए?

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Hi, I Am Social Worker इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

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