प्रस्तावना :-
ये दोनों स्मृतियाँ विशिष्ट प्रकार की स्मृतियाँ हैं और इनमें भिन्न प्रकार की प्रक्रियाएँ सम्मिलित हैं। उपरोक्त दोनों प्रकार अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृति में अंतर हैं, जैसे-
अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृति में अंतर :-
अल्पकालिक स्मृति और दीर्घकालिक स्मृति के बीच अंतर इस प्रकार है
अवधि –
अल्पकालिक स्मृति में अवधि छोटी होती है, जबकि दीर्घकालिक स्मृति में अवधि लंबी होती है। अधिकांश मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि अल्पकालिक स्मृति केवल कुछ सेकंड तक रहती है और फिर गायब हो जाती है, जबकि दीर्घकालिक स्मृति को जीवन भर बनाए रखा जा सकता है।
क्षमता में अंतर –
एडम्स के अनुसार, अल्पकालिक स्मृति में संचयन क्षमता कम होती है और दीर्घकालिक स्मृति में भंडारण क्षमता अधिक होती है। इस कारण से, अल्पकालिक स्मृति की विस्मरण अपेक्षाकृत जल्दी होती है। मार्क्स का भी ऐसा ही मानना है।
दैहिक आधार पर –
अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृति के वर्गीकरण की वैधता को दैहिक अध्ययनों द्वारा भी समर्थन मिला है। पेनफील्ड ने निष्कर्ष निकाला कि यदि हिप्पोकैम्पस (मस्तिष्क का हिस्सा) नष्ट हो जाता है, तो अल्पकालिक स्मृति को दीर्घकालिक स्मृति में परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। अर्थात् दोनों स्मृतियों में सन्निहित दैहिक प्रक्रियाओं में भी अंतर होता है।
चंचलता –
अल्पकालिक स्मृति चंचल होती है। एक जानकारी अल्पकालिक स्मृति में प्रवेश करती है और दूसरी बाहर चली जाती है। दीर्घकालिक स्मृति में कोई अस्थिरता नहीं होती। इस स्मृति में, जानकारी अच्छी तरह से व्यवस्थित और संग्रहीत रहती है।
व्यतिकरण या बाधा का प्रभाव –
बाधाएँ दोनों प्रकार की स्मृतियों पर प्रभाव डालती हैं। कोनार्ड फ्रीमैन और हल आदि के अनुसार, अल्पकालिक स्मृति उत्तेजक ध्वनि संबंधी समानताओं से बाधित होती है, जबकि दीर्घकालिक स्मृति उत्तेजकों में अर्थ संबंधी समानता से बाधित होती है। बैडले का भी ऐसा ही निष्कर्ष है। सामान्य भाषा में यह कहा जा सकता है कि व्यतिकरण का प्रभाव अल्पकालिक स्मृति पर अधिक तथा दीर्घकालिक स्मृति पर कम पड़ता है।
प्राथमिकता बनाम नवीनता प्रभाव –
अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्मृतियों के वर्गीकरण की वैधता की पुष्टि प्राथमिकता और नवीनता प्रभावों से भी होती है। यह वाचिक अधिगम का एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी सूची को क्रमिक रूप से याद किया जाता है, तो सूची की प्रारंभिक स्थिति अधिक याद रहती है। इसे प्राथमिकता प्रभाव कहा जाता है।
मध्य के पदों को कम ही स्मरण किया जाता है, लेकिन सूची के अंतिम पदों को अधिक पुनर्स्मरण किया जाता है, फिर भी यह मात्रा प्रारंभिक पदों से कम है। इसे नवीनता प्रभाव कहा जाता है।
कूटसंकेत में अंतर –
विद्वानों का मानना है कि दोनों स्मृतियों में, अल्पकालिक स्मृति विस्मरण तीव्र गति से होती है क्योंकि इस स्तर पर जानकारी अपेक्षित रूप से कूटसंकेत नहीं हो पाता है। कूटसंकेतन और संचयन आदि दीर्घकालिक स्मृति की स्थिति में होने चाहिए। इसी कारण इसकी भूलने की गति कम होती है।
विघटन –
अल्पकालिक स्मृति में विघटन की संभावना अधिक होती है, जबकि दीर्घकालिक स्मृति में यह कम होती है। अल्पकालिक स्मृति की सामग्री अव्यवस्थित और असंगठित होती है, जिससे इसका विघटन आसान हो जाता है, जबकि दीर्घकालिक स्मृति की सामग्री संगठित और संरचित होती है, जिससे इसका विघटन कम संभावना वाला या अधिक कठिन हो जाता है।
FAQ
अल्पकालिक स्मृति तथा दीर्घकालीन स्मृति के बीच अन्तर बताइए?
- अवधि
- क्षमता में अंतर
- दैहिक आधार पर
- चंचलता
- व्यतिकरण या बाधा का प्रभाव
- प्राथमिकता बनाम नवीनता प्रभाव
- कूटसंकेत में अंतर
- विघटन