माध्यिका का अर्थ :-
माध्यिका या माध्यांक भी एक महत्वपूर्ण सांख्यिकीय माप है। माध्यिका किसी संख्या या पद का वह मूल्य है जो किसी श्रृंखला के समंकों को दो भागों में विभाजित करता है। दूसरे शब्दों में, माध्यिका किसी समंक श्रेणी का वह मूल्य होता है जो श्रेणी के ठीक मध्य में स्थित है। इसकी विशेषता यह है कि श्रेणी में माध्यिका अंक के एक भाग में सभी अंक माध्यिका अंक से कम तथा दूसरे भाग में माध्यिका अंक से अधिक होने चाहिए।
दूसरे शब्दों में, श्रेणी के सभी मूल्यों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाना चाहिए। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जब समंक श्रेणी को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो वह जो इस समंक श्रेणी को दो बराबर भागों में बाँटता है, मध्यांक या माध्यिका कहलाती है।
माध्यिका की परिभाषा :-
विभिन्न विद्वानों ने मध्यांक या माध्यिका की परिभाषा इस प्रकार दी है-
“पदमाला के पदों को आरोही या अवरोही क्रम से व्यवस्थित करने पर जो मध्य में रहता है, उसे माध्यिका कहते हैं। “
बल्दुआ एवं शर्मा
“जब एक समंक माला आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है तो इस समंक माला को दो बराबर भागों में विभाजित करने वाले मध्य मूल्य को माध्यिका कहते हैं। “
प्रो. एलहांस
“पदमाला की मध्यका वह वास्तविक अथवा अनुमानित होता है, जो पदमाला को विस्तार के क्रम में व्यवस्थित करने पर उसे बराबर दो भागों में विभाजित करती है। “
सेक्रिप्ट
मध्यका या माध्यिका की विशेषताएं :-
- मध्यका समंक माला के केंद्र में स्थित एक विशेष मूल्य होता है।
- माध्यिका संपूर्ण समंक श्रेणी को दो समान भागों में विभाजित करती है।
- मध्यिका खोजने के लिए पदों को सतत श्रेणी में अपवर्जी बनाना आवश्यक है।
- संचयी क्रम में पदों की आवृत्ति को व्यवस्थित करना आवश्यक है।
- मध्यिका ज्ञात करने के लिए पदों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करना होता है।
- माध्यिका केवल एक विशेष मूल्य की ओर संकेत करती है। जिस संख्या या विशेषता से यह मान संबंधित होता है उसे माध्यिका माना जाता है।
माध्यिका के लाभ :-
- मध्यिका को समझना और ज्ञात करना बहुत आसान है,
- माध्यिका मूल्य निश्चित है और हमेशा निर्धारित किया जा सकता है,
- माध्यिका निकालने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि सभी मूल्य दिए गए हों, अपितु अधूरे तथ्यों की भी गणना की जा सकती है।
माध्यिका के दोष :-
- यह श्रेणी में सभी मूल्यों पर आधारित नहीं है, इसलिए यह केवल एक स्थिति से संबंधित माध्यिका है।
- जब श्रेणी के मान का योग सम होता है, माध्यिका दो मानों के बीच होती है, तब यह एकमात्र संभव माप होता है न कि वास्तविक माप।
- अनियमित आँकड़ों में जहाँ माध्यिका के पास रिक्त स्थान होते हैं, उसे केंद्रिका का अच्छा माप नहीं कहा जाता है।
मध्यका या माध्यिका की गणना :-
व्यक्तिगत या सरल या अव्यवस्थित या स्वतंत्र श्रेणी में माध्यिका की गणना करना :-
१. सबसे पहले, श्रेणी को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करें।
२. श्रेणी को उपरोक्तानुसार रूप में व्यवस्थित करने के बाद, निम्न सूत्र का उपयोग करें:
३. यदि पदों की संख्या विषम है-
खंडित श्रेणी में माध्यिका की गणना :-
इस श्रेणी में माध्यिका ज्ञात करने की विधि इस प्रकार होगी :-
१. प्रथम श्रेणी के सभी पदों को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करें।
२. आवृत्तियों को संचयी आवृत्तियों में परिवर्तित करें।
३. निम्न सूत्र का प्रयोग करके माध्यिका ज्ञात कीजिए।
जहाँ n आवृत्ति का योग या अंतिम संचयी बारंबारता है
इस प्रकार प्राप्त संचयी आवृत्ति के सामने का पद माध्यिका होगा। यदि संख्या ऐसी है कि वह संचयी बारंबारता में नहीं है, तो संख्या के आगे का पद माध्यिका होगा।
सतत या निरंतर या अखंड श्रेणी में माध्यिका की गणना :-
सतत् श्रेणी में माध्यिका की गणना निम्न विधि से की जाती है:-
१. पहले संचयी आवृत्ति ज्ञात कीजिए।
२. N/2 वें पद का मान माध्यिका वर्ग ज्ञात करने के बाद निम्न सूत्र का प्रयोग करें।
जहाँ Me = माध्यिका, L1 = माध्यिका वर्ग की निम्न सीमा, L2 = माध्यिका वर्ग की उच्च सीमा, M = माध्यिका संख्या की संचयी आवृत्ति का आधार मूल्य या n/2, C = माध्यिका वर्ग के पूर्व वर्ग की संचयी आवृत्ति
संक्षिप्त विवरण :-
माध्यिका का अर्थ स्पष्ट करते हुए कहा गया है कि माध्यिका उस अंक या पद का मूल्य है जो श्रेणी के समंकों को दो भागों में विभाजित करता है अर्थात् मध्यिका एक समंक श्रेणी का मूल्य है जो श्रेणी के ठीक मध्य में स्थित होता है।
FAQ
माध्यिका क्या है?
जब एक समंकमाला को आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाता है, तो इस समंकमाला को दो बराबर भागों में विभाजित करने वाले मध्य मूल्य को माध्यिका कहा जाता है।