प्रस्तावना :-
सभ्यता संस्कृति के भौतिक पक्ष से संबंधित है। इसमें वे वस्तुएँ सम्मिलित हैं जिनका प्रयोग व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करता है। सभ्यता का संबंध उन भौतिक साधनों से है जिनमें उपयोगिता का तत्व पाया जाता है, जैसे उद्योग, परिवहन के साधन, धन आदि। हम सभ्यता को मनुष्य की विभिन्न प्रकार की आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन कह सकते हैं। मैथ्यू अर्नोल्ड, अल्फ्रेड वेबर और मैकाइवर जैसे विद्वानों ने संस्कृति सभ्यता के भौतिक पक्ष को कहा है।
सभ्यता का अर्थ :-
सभ्यता शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘CIVITAS’ और ‘CIVIS’ से हुई है जिसका अर्थ क्रमशः “नगर” और “नगर निवासी” है। इस दृष्टि से सभ्यता का अर्थ उन नगरों या नगरवासियों से है जो स्थायी रूप से एक स्थान पर निवास करते हैं, शिक्षित हैं तथा जिनका व्यवहार जटिल है। दूसरे शब्दों में उच्च एवं विकसित संस्कृति को सभ्यता कहते हैं।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति के साधन सभ्यता के प्रतीक हैं। सभ्यता में वे सभी संसाधन शामिल हैं जो मनुष्य की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति से संबंधित हैं और मानव जीवन के लिए आवश्यक हैं।
सभ्यता की परिभाषा :-
“कोई संस्कृति तभी सभ्यता बनती है जब उसके पास एक लिखित भाषा, विज्ञान, दर्शन, अत्यधिक विशेषीकरण वाला श्रम-विभाजन, एक जटिल तकनीकी और राजनीतिक पद्धति हो।”
ग्रीन
“सभ्यता से हमारा अभिप्राय उस संपूर्ण प्रविधि और संगठन से है जिसे मनुष्य ने अपने जीवन की दशाओं को नियंत्रित करने के प्रयत्न से बनाया है।”
मैकाइबर एवं पेज
सभ्यता की विशेषताएं :-
सभ्यता की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
विधियों से संबंधित –
सभ्यता में ऐसे उपकरण होते हैं जो मानव जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
परिवर्तनशील –
मानवीय आवश्यकताओं में वृद्धि के साथ परिवर्तन होते रहते हैं। फलस्वरूप आवश्यकताओं को पूरा करने वाले साधन भी बदल जाते हैं।
अग्रसर होना –
सभ्यता निरन्तर आगे बढ़ती है। परिवहन के साधनों पर दृष्टि डालें तो पता चलता है कि प्रत्येक आविष्कार के साथ गति की मात्रा में वृद्धि हुई है।
आवश्यकता पूर्ति के साधन –
सभ्यता के विभिन्न साधनों का उपयोग मानव द्वारा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि सभ्यता मनुष्य की किसी न किसी आवश्यकता की पूर्ति करती है।
संचरणशील –
सभ्यता में उपयोगिता का तत्व अधिक मात्रा में होता है। इसी कारण सभ्यता एक स्थान से दूसरे स्थान पर तेजी से फैलती है। चाहे वह कोई औषधि हो या उन्नत किस्म का कपड़ा, किसी देश में उसका आविष्कार होते ही बहुत ही कम समय में पूरी दुनिया में फैल जाता है।
बाह्य आचरण से संबंधित –
सभ्यता का संबंध मनुष्य के बाह्य व्यवहार से है। समाज में किया जाने वाला बाह्य आचरण सभ्यता का प्रतीक माना जाता है। उदाहरण के लिए, हमारे कपड़े हमारी सभ्यता के प्रतीक हैं।
भौतिक स्वरूप –
सभ्यता की प्रकृति भौतिक है। इसे देखा और छुआ जा सकता है। इस संसार में जितने भी भौतिक साधन और साधन हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति से संबंधित हैं, उन्हें हम सभ्यता के अंतर्गत ही रखते हैं।
यह साधन है, साध्य नहीं –
सभ्यता हमारी विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति का साधन मात्र है।
FAQ
सभ्यता क्या है?
संस्कृति के भौतिक पक्ष को सभ्यता कहा जाता है। इसमें वे वस्तुएँ सम्मिलित हैं जिनका प्रयोग व्यक्ति अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए करता है।
सभ्यता की विशेषताएं क्या है?
- विधियों से संबंधित
- परिवर्तनशील
- अग्रसर होना
- आवश्यकता पूर्ति के साधन
- संचरणशील
- बाह्य आचरण से संबंधित
- भौतिक स्वरूप
- यह साधन है, साध्य नहीं