पृथ्वी की सतह के ऊपर एवं आंतरिक भाग में पाए जाने वाले सभी जल भंडार, जिनका उपयोग मानव द्वारा किया जाता है, जल संसाधन कहलाते हैं।
ज्वालामुखी विस्फोट से तात्पर्य उस घटना से है जिसमें पृथ्वी के अंदर जमा मैग्मा यानी गर्म लावा, गैस, राख बाहर निकलकर बहुत बड़े क्षेत्र में फैल जाता है।
भूकंप को मापने के लिए प्रयोग किया जाने वाला उपकरण सिस्मोग्राफ है। भूकंप की तीव्रता मापने के पैमाने को रिक्टर स्केल कहा जाता है।
आपदा प्रबंधन का अर्थ उन सभी उपायों से है जिनके द्वारा विभिन्न प्रकार के संकटों या आपदाओं के प्रभाव को कम किया जाता है ताकि मानव समाज बचाया जा सके।
इस पोस्ट में हम भारत में आपदा प्रबंधन के विषय और इसके महत्व के बारे में जानेंगे। भारत बाढ़, भूकंप, चक्रवात और सूखे सहित विभिन्न प्रकार की आपदाओं से ग्रस्त है।
दूसरे शब्दों में, आपदा को खतरों का परिणाम भी कहा जा सकता है और इस प्रकार आपदा का तात्पर्य खतरों के घटित होने के बाद की स्थिति से है।
पर्यावरण अवनयन सामाजिक-आर्थिक, तकनीकी और संस्थागत गतिविधियों का परिणाम है। यह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मानव-जनित गतिविधियों से होता है
ठोस अपशिष्ट पदार्थों का नियमित संग्रहण और उपयुक्त स्थानों पर उचित निपटान ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कहलाता है।
यही परमाणु शक्ति का आधार है। रेडियोधर्मी पदार्थों की गतिविधि के कारण होने वाले प्रदूषण को "रेडियोधर्मी प्रदूषण" कहा जाता है।
ऊष्मीय प्रदूषण मुख्य रूप से एक प्राकृतिक परिवर्तन है, लेकिन यह कई मानवीय गतिविधियों से प्रभावित हो रहा है, इसके मुख्य स्रोत इस प्रकार हैं-