मनोविज्ञान में सांख्यिकी का महत्व बताइए?

मनोविज्ञान में सांख्यिकी का महत्व :-

सामाजिक वैज्ञानिक अपनी पसंद और नापसंद के आधार पर सांख्यिकी का उपयोग नहीं करते हैं, बल्कि आंकड़ों की प्रकृति के कारण करते हैं। आधुनिक युग में अनेक प्रकार की मनोवैज्ञानिक तथा शिक्षा सम्बन्धी समस्याओं के अध्ययन में सांख्यिकी का प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। मनोविज्ञान और शिक्षा के अध्ययन में सांख्यिकी ने विशेष स्थान बनाया है। यह न केवल परिकल्पनाओं की जांच करने के लिए प्रयोग किया जाता है, बल्कि यह व्यक्तिगत अंतरों के मापन और जटिल व्यवहार को समझने में भी उपयोगी है। जिन अध्ययनों में इसका उपयोग किया जाता है, उनके परिणाम शुद्ध, विश्वसनीय, वैध और वस्तुनिष्ठ होते हैं। ऐसे परिणामों के आधार पर, अध्ययन किए गए व्यवहार के बारे में भविष्यवाणी भी की जा सकती है। मनोविज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में इसका प्रयोग दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। संक्षेप में मनोविज्ञान में सांख्यिकी का महत्व इस प्रकार है:-

१. मनोवैज्ञानिक मापन से प्राप्त तथ्यों की व्याख्या अंकों द्वारा की जाती है। यह व्याख्या सांख्यिकी के माध्यम से अधिक उपयुक्त एवं अर्थपूर्ण ढंग से संभव है।

२. सांख्यिकीय अध्ययनों के आधार पर प्राप्त निष्कर्षों की सहायता से तथ्यों की वैज्ञानिक व्याख्या की जा सकती है।

३. सांख्यिकी सामान्य निष्कर्षों को निर्धारित करने में भी सहायक होती है। ये निष्कर्ष सांख्यिकीय सूत्रों और नियमों के आधार पर निकाले गए हैं।

४. आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान योजनाओं में सांख्यिकीय विधियाँ बहुत अधिक सहायक हैं। सांख्यिकीय विधियों के अभाव में उच्च वैज्ञानिक अनुसंधान योजनाओं का निर्माण संभव नहीं है।

५. सांख्यिकी के प्रामाणिक मापदंडों की मदद से वस्तुनिष्ठ प्रतिक्रियाएँ या वस्तुनिष्ठ परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं। सीखने पर अभ्यास के प्रभाव के बारे में अलग-अलग लोगों की अलग-अलग राय हो सकती है। यदि इस तथ्य की व्याख्या अंकों द्वारा की जाए तो एक ही व्याख्या होगी। अतः सांख्यिकी की सहायता से वस्तुनिष्ठ तथा शुद्ध परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

६. सांख्यिकी के माध्यम से तुलनात्मक अध्ययन अधिक सरल हो जाता है। यह तुलना कई आधारों पर हो सकती है; जैसे समय, स्थान और तथ्य आदि। बुद्धि-लब्धि की सहायता से दो या दो से अधिक विद्यार्थियों की बुद्धि-लब्धि की तुलना की जा सकती है। तुलनात्मक अध्ययन में सांख्यिकी द्वारा शुद्ध एवं विश्वसनीय परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं।

७. सांख्यिकीय विश्लेषण के आधार पर दो या दो से अधिक चल राशियों के बीच सम्बन्ध भी ज्ञात किया जा सकता है। इसके लिए सह-सम्बन्ध गुणांक निकालना होगा। केवल दो या दो से अधिक चल राशियों के बीच संबंध ज्ञात होता है, लेकिन उनके बीच कितना संबंध है, यह भी निर्धारित किया जा सकता है।

८. सांख्यिकीय अध्ययन के आधार पर व्यवहार के संबंध में प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर व्यवहार के संबंध में उचित भविष्यवाणी भी की जा सकती है। उदाहरण के लिए, सांख्यिकीय विधियों द्वारा समूह व्यवहार का अध्ययन करके यह अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य में समूह व्यवहार की प्रकृति क्या होगी।

९. कई मनोवैज्ञानिक परीक्षणों को मानसिक और शारीरिक क्षमताओं जैसे बुद्धि, रुचि, व्यक्तित्व, दृष्टिकोण, अभिवृत्ति आदि को मापने के लिए तैयार किया गया है। इस प्रकार के परीक्षणों के निर्माण की प्रक्रिया में सांख्यिकी का बहुत महत्व है। आज के युग में वैध परीक्षणों का निर्माण सांख्यिकी के प्रयोग पर निर्भर करता है।

१०. सांख्यिकीय विधियों की सहायता से प्रतिनिधि प्रतिदर्श का चयन भी आसानी से किया जा सकता है। मनोविज्ञान और शिक्षा में अधिकांश अध्ययन प्रतिदर्श पर ही आधारित होते हैं, लेकिन प्रतिदर्श के लिए आवश्यक है कि प्रतिदर्श समष्टि का प्रतिनिधित्व करे। सांख्यिकी प्रतिनिध्यात्मक प्रतिदर्श के चयन में सहायक होती है।

संक्षिप्त विवरण :-

उपरोक्त विवेचना से स्पष्ट है कि सांख्यिकी मनोवैज्ञानिक मापन के लिए अत्यन्त सार्थक विषय है, जो मनोवैज्ञानिक मापन को वस्तुनिष्ठ एवं वैज्ञानिक बनाता है। बाजारवाद के इस दौर में पूरी दुनिया नंबरों पर चल रही है। आंकड़ों के विश्लेषण के लिए सांख्यिकी का प्रयोग किया जाता है।

FAQ

मनोविज्ञान में सांख्यिकी का महत्व क्या है?

मनोवैज्ञानिक मापन से प्राप्त तथ्यों की व्याख्या अंकों द्वारा की जाती है। यह व्याख्या सांख्यिकी के माध्यम से अधिक उपयुक्त एवं अर्थपूर्ण ढंग से संभव है।

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