समाज कार्य प्रक्रिया क्या है? अर्थ, चरण, मूल्यांकन
समाज कार्य प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति, समूह या समुदाय और जरूरतमंद लोगों की मनोवैज्ञानिक समस्याओं को समर्थन हस्तक्षेप के माध्यम से हल करना है।
समाज कार्य प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति, समूह या समुदाय और जरूरतमंद लोगों की मनोवैज्ञानिक समस्याओं को समर्थन हस्तक्षेप के माध्यम से हल करना है।
व्यवसाय मानव सभ्यता और संस्कृति के प्रारंभ से ही अस्तित्व में रहा होगा क्योंकि विशेष व्यावहारिक तकनीक के बिना समाज को उन्नत नहीं किया जा सकता है। समाज
समाज सुधार का तात्पर्य समाज की उन बुराइयों को दूर करना है, जिनका सामाजिक व्यवस्था, नियंत्रण आदि पर बुरा प्रभाव पड़ता है और जो जनमानस को प्रभावित करती हैं।
सामाजिक परिवर्तन का तात्पर्य सामाजिक संबंधों में परिवर्तन या भिन्नता से है। सामाजिक परिवर्तन में सामाजिक संबंधों और घटनाओं आदि में परिवर्तन होता है।
कुछ स्वयंसेवा और गैर सरकारी संगठन हैं जो सरकार से वित्तीय सहायता लिए बिना अपने स्वयं के संसाधनों के साथ समाज के कमजोर वर्गों की सुरक्षा और कल्याण के
समाज कार्य के अभिकल्प -
1. स्वयंकी चेतना का प्रयोग।
2. रचनात्मक सम्बंधों का प्रयोग।
3. मौखिक अंतःक्रिया।
4. कार्यक्रम नियोजन एवं इसका प्रयोग।
एम.वी. मूर्ति ने बहुत सूक्ष्म तरीके से समाज कार्य और समाज सेवा में अंतर करके दोनों के बीच स्पष्ट अंतर किया है। उनके कथन के अनुसार समाज कार्य और समाज सेवा
समाज कार्य के दर्शन को प्रतिपादित करते हुए हर्बर्ट बिस्नो ने सामाजिक कार्य के विशिष्ट मूल्यों का उल्लेख किया है, जो समाज कार्य के दर्शन का आधार है।
सामाजिक कार्यकर्ता समाज कार्य की प्रविधियां का उपयोग करते हुए समाज में वांछित एवं अभिष्ट परिर्वतन लाने के लिए भी कार्य करते है।
व्यक्ति के व्यवहार को समझने और सामाजिक समस्याओं का वैज्ञानिक निदान करने के लिए विशिष्ट समाज कार्य के प्रारूप का उपयोग किया जाता है।
उन्होंने कहा कि मूल रूप से समाज कार्य के व्यावसायिक उद्देश्य का उच्चतम संभव मानव व्यक्तित्व का विकास करना है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लिए
समाज कार्य व्यवसाय की अपनी विशिष्ट पद्धति है जिसमें उपचार से संबंधित कार्य करने के लिए विशिष्ट समाज कार्य के सिद्धांत विकसित किए गए हैं।