बजट क्या है? बजट का अर्थ एवं परिभाषा, उपयोग
अक्सर यह समझा जाता है कि बजट केवल भविष्य की आय और भविष्य के व्यय का पूर्वानुमान होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा कहना सही नहीं है।
अक्सर यह समझा जाता है कि बजट केवल भविष्य की आय और भविष्य के व्यय का पूर्वानुमान होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा कहना सही नहीं है।
कल्याणकारी राज्य में व्यक्ति के सर्वांगीण हितों को महत्व दिया जाता है। राज्य लोक कल्याणकारी योजनाओं को जल्द से जल्द बनाने और लागू करने का भी प्रयास करता है।
कार्ल मार्क्स ने नागरिक समाज का प्रयोग एक ऐसे भ्रष्ट पूंजीवादी के लिए किया है, जिसमें चरम व्यक्तिवाद और भौतिकवाद प्रतिस्पर्धा होती है।
संस्कृतियों और सामाजिक व्यवस्थाओं से अलग है। यहां हम भारतीय समाज की विशेषताएं का उल्लेख करेंगे, जो हजारों वर्षों से भारतीय समाज से जुड़ी हुई हैं।
कोई भी व्यक्ति विचलित व्यवहार क्यों करता है, इसके बारे में कई विचार दिए गए हैं। सामाजिक विचलन के सिद्धांत को दो प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किया गया है।
सामाजिक विचलन की अवधारणा समय सापेक्ष और समाज-सापेक्षिक है। सामाजिक विचलन की प्रकृति, परिस्थितियों के अनुसार बदलती रहती है।
मलिन बस्ती नगर का एक निम्न बसा हुआ क्षेत्र है जो बेतरतीब ढंग से विकसित है और आमतौर पर उच्च जनसंख्या घनत्व और भीड़भाड़ वाला है।
अस्पृश्यता का इतिहास भारतीय समाज में जाति व्यवस्था के इतिहास से जुड़ा हुआ है क्योंकि यह जाति व्यवस्था के साथ-साथ हमारे समाज में एक गंभीर समस्या रही है।
सामाजिक मूल्य और सामाजिक प्रतिमान में अंतर इस प्रकार है: - मूल्य सामान्य होते हैं जबकि प्रतिमान विशेष होते हैं।
पहनावे की शैली, बातचीत के तरीके, व्यवसाय में उनकी स्थिति के अनुसार व्यवहार आदि के माध्यम से परिवार में विभिन्न सामाजिक प्रतिमान व्यक्त किए जाते हैं।
सामाजिक मूल्य द्वारा स्वीकृत इच्छाएं और लक्षण हैं, जो सीखने या समाजीकरण की प्रक्रिया से शुरू होते हैं, जो बाद में अभिमान्यताये बन जाते हैं।
समाजीकरण एक साथ काम करने, सामूहिक जिम्मेदारी की भावना विकसित करने और दूसरों की कल्याणकारी आवश्यकताओं द्वारा निर्देशित होने की प्रक्रिया है।