व्यक्तिगत समस्या और सामाजिक समस्या में अंतर स्पष्ट कीजिए?
व्यक्तिगत समस्या एवं सामाजिक समस्या में अन्तर निम्नलिखित बिंदुओं से किया जा सकता है :-
व्यक्तिगत समस्या एवं सामाजिक समस्या में अन्तर निम्नलिखित बिंदुओं से किया जा सकता है :-
सामाजिक समस्याओं के संदर्भ में यह प्रश्न उनके निवारण से संबंधित है। इन समस्याओं को कैसे हल किया जा सकता है? और क्या इन सामाजिक समस्याओं का समाधान किया जा सकता
सामाजिक समस्या की उत्पत्ति कई कारणों से होती हैं। जब सामाजिक संगठन में समरसता समाप्त हो जाती है और समाज में प्रचलित मूल्यों, आदर्शों और नियमों में अव्यवस्था
सामाजिक समस्या के सिद्धांत निम्नलिखित हैं:-
1.सामाजिक विघटन का सिद्धांत
2.सांस्कृतिक विलम्बन का सिद्धांत
3.मूल्य संघर्ष का सिद्धांत
4.वैयक्तिक विचलन का सिद्धांत
सामाजिक समस्या हमेशा अलग होती है। इससे सामाजिक संगठन में उथल-पुथल हो सकती है और नियमित और सामान्य जीवन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।
ग्रामीण और नगरीय समुदाय में अंतर विभिन्न परिभाषाओं और विशेषताओं से स्पष्ट है कि दोनों के बीच प्रचलित समानता के बावजूद, दोनों के बीच बहुत अंतर है
अन्तः समूह और बाह्य समूह में अंतर निम्नलिखित हैं :- अन्तःसमूह की विशेषता 'साझा हित' है। जबकि बाह्म समूह के 'हितों में संघर्ष'! है।
प्राथमिक समूह एवं द्वितीयक समूह की विशेषताएं एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं। प्राथमिक समूह एवं द्वितीयक समूह में अंतर को निम्नलिखित प्रमुख आधारों पर समझाया
द्वितीयक समूह का आकार बड़ा होने के कारण सदस्यों में शारीरिक निकटता नहीं होती है। जिसके कारण सदस्यों के व्यक्तिगत संबंध अप्रत्यक्ष होते हैं
प्राथमिक समूहों के कारण ही मनुष्य समाज के योग्य बनता है। यदि मानव जीवन में प्राथमिक समूह मौजूद नहीं है, तो वह समाज में उपयुक्त नहीं होगा।
समाजशास्त्रियों ने विभिन्न आधारों को सामने रखकर सामाजिक समूह का वर्गीकरण किया है। प्रमुख समाजशास्त्रियों ने समूहों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया है:
जब भी दो या दो से अधिक व्यक्ति एक दूसरे को प्रभावित करते हैं, तो वे एक सामाजिक समूह बनाते हैं। सामाजिक समूह के सदस्यों के बीच सामाजिक संबंध होना आवश्यक है।