अन्तः समूह और बाह्य समूह में अंतर :-
अन्तः समूह और बाह्य समूह में अंतर निम्नलिखित हैं :-
अनुक्रम :-
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अन्तः समूह
- व्यक्ति अन्तःसमूह को अपना समूह मानता है, अर्थात् उसके सदस्यों में अपनेपन की भावना होती है।
- अन्तःसमूह के सदस्यों में “हम की भावना” होती है।
- अन्तःसमूह के सदस्यों में पाए जाने वाले संबंध घनिष्ठ होते हैं।
- अन्तःसमूह के सदस्य अपने समूह के दुखों और सुखों को अपना दुख और सुख मानते हैं।
- अन्तःसमूह के सदस्य प्रेम, स्नेह, त्याग और सहानुभूति की भावनाओं से जुड़े होते हैं।
- अन्तःसमूह के सदस्यों को अपने समूह के कल्याण के सामने व्यक्तिगत हितों की शिथिलता पाई जाती है।
- अन्तःसमूह का आकार तुलनात्मक रूप से छोटा होता है।
- अन्तःसमूह की विशेषता ‘साझा हित’ है।
बाह्य समूह
- बाह्य समूह को एक विदेशी समूह माना जाता है, अर्थात उसके सदस्यों के प्रति अपनेपन की भावना का अभाव होता है।
- बाह्य समूह के सदस्यों के विरोध की भावना होती है।
- बाह्म समूह के सदस्यों से निकटता नहीं पाई जाती है।
- बाह्म समूह के प्रति ऐसी भावनाओं का अभाव होता है।
- बाह्म समूह के प्रति घृणा, द्वेष, प्रतिस्पर्धा और पक्षपात की भावनाएँ पाई जाती हैं।
- जबकि बाह्म समूह के सदस्यों के प्रति संदेह, घृणा और भेदभाव होता है।
- जबकि बाह्म समूह का आकार तुलनात्मक रूप से बड़ा होता है।
- बाह्म समूह के ‘हितों में संघर्ष‘! है।
FAQ
अन्तः समूह और बाह्य समूह में अंतर बताइए?
- अन्तःसमूह की विशेषता ‘साझा हित’ है, जबकि बाह्म समूह के ‘हितों में संघर्ष’! है।
- अन्तःसमूह का आकार तुलनात्मक रूप से छोटा होता है, जबकि बाह्म समूह का आकार तुलनात्मक रूप से बड़ा होता है।
- अन्तःसमूह के सदस्यों में पाए जाने वाले संबंध घनिष्ठ होते हैं, जबकि बाह्म समूह के सदस्यों से निकटता नहीं पाई जाती है।
- अन्तःसमूह के सदस्यों में “हम की भावना” होती है, जबकि बाह्य समूह के सदस्यों के विरोध की भावना होती है।