अन्तः समूह और बाह्य समूह में अंतर स्पष्ट करें ?

अन्तः समूह और बाह्य समूह में अंतर :-

अन्तः समूह और बाह्य समूह में अंतर निम्नलिखित हैं :-

अन्तः समूह

  1. व्यक्ति अन्तःसमूह को अपना समूह मानता है, अर्थात् उसके सदस्यों में अपनेपन की भावना होती है।
  2. अन्तःसमूह के सदस्यों में “हम की भावना” होती है।
  3. अन्तःसमूह के सदस्यों में पाए जाने वाले संबंध घनिष्ठ होते हैं।
  4. अन्तःसमूह के सदस्य अपने समूह के दुखों और सुखों को अपना दुख और सुख मानते हैं।
  5. अन्तःसमूह के सदस्य प्रेम, स्नेह, त्याग और सहानुभूति की भावनाओं से जुड़े होते हैं।
  6. अन्तःसमूह के सदस्यों को अपने समूह के कल्याण के सामने व्यक्तिगत हितों की शिथिलता पाई जाती है।
  7. अन्तःसमूह का आकार तुलनात्मक रूप से छोटा होता है।
  8. अन्तःसमूह की विशेषता ‘साझा हित’ है।

बाह्य समूह

  1. बाह्य समूह को एक विदेशी समूह माना जाता है, अर्थात उसके सदस्यों के प्रति अपनेपन की भावना का अभाव होता है।
  2. बाह्य समूह के सदस्यों के विरोध की भावना होती है।
  3. बाह्म समूह के सदस्यों से निकटता नहीं पाई जाती है।
  4. बाह्म समूह के प्रति ऐसी भावनाओं का अभाव होता है।
  5. बाह्म समूह के प्रति घृणा, द्वेष, प्रतिस्पर्धा और पक्षपात की भावनाएँ पाई जाती हैं।
  6. जबकि बाह्म समूह के सदस्यों के प्रति संदेह, घृणा और भेदभाव होता है।
  7. जबकि बाह्म समूह का आकार तुलनात्मक रूप से बड़ा होता है।
  8. बाह्म समूह के ‘हितों में संघर्ष‘! है।

FAQ

अन्तः समूह और बाह्य समूह में अंतर बताइए?

Share your love
social worker
social worker

Hi, I Am Social Worker
इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

Articles: 554

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *