प्रश्नावली और अनुसूची में अंतर :-
अनुसंधान में तथ्य एकत्र करने के लिए प्रश्नावली और अनुसूचियां दोनों ही महत्वपूर्ण उपकरण हैं। ये दोनों उपकरण शोध कार्य करने में सहायता प्रदान करते हैं। प्रश्नावली और अनुसूची में अंतर निम्नलिखित हैं:-
१. अध्ययन क्षेत्र विस्तृत होने पर भी प्रश्नावली प्रणाली में अधिक समय नहीं लगता है। वह डाक द्वारा विभिन्न स्थानों से जानकारी प्राप्त करता है। उन्होंने प्रश्नावलियों को साथ-साथ भेज दिया है और कुछ ही दिनों में विभिन्न क्षेत्रों से सूचनाएं प्राप्त हो जाती हैं। जबकि अनुसूची प्रणाली में शोधकर्ता को एक शोध क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में जाना पड़ता है, इसमें काफी समय खर्च होता है। यदि अध्ययन क्षेत्र बहुत विस्तृत है तो उसके सामने अधिक कठिनाई होती है।
२. उत्तरदाता को प्रश्नावली डाक द्वारा भेजी जाती है, अतः उत्तरदाता उसे स्वयं भरकर पुनः लौटा देता है। जबकि अनुसूचियां शोधकर्ता द्वारा स्वयं भरी जाती हैं। वह उत्तरदाताओं से जानकारी एकत्र करता है और इसे अपने अनुसूची में भरता है।
३. प्रश्नावली उत्तरदाताओं को डाक द्वारा भेजा जाता है। शोधकर्ता को उस स्थान पर जाने की आवश्यकता नहीं है। जबकि अनुसूचियां डाक द्वारा प्रेषित नहीं की जाती हैं। शोधकर्ता स्वयं अनुसूची को साथ ले जाता है।
४. प्रश्नावलियों के माध्यम से विस्तृत क्षेत्रों से जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है, इसलिए इसका उपयोग अधिकतर बड़े क्षेत्रों में किया जाता है। जबकि अनुसूची का प्रयोग विस्तृत क्षेत्र में नहीं अपितु सीमित क्षेत्र में किया जाता है।
५. प्रश्नावली में निरीक्षण के लिए स्थान नहीं है। चूँकि शोधकर्ता स्वयं उपस्थित नहीं होता है, अतः इस विधि द्वारा प्राप्त उत्तर भी संक्षिप्त होते हैं। जबकिअनुसूची प्रणाली में निरीक्षण को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। अनुसंधानकर्ता स्वयं उस स्थान पर उपस्थित होता है, इसलिए उसे बड़े प्रश्न बनाने की आवश्यकता नहीं होती। तथ्यों को एकत्रित करने के साथ-साथ वह तथ्यों का निरीक्षण भी करता है। वह प्राप्त तथ्यों के निरीक्षण द्वारा भी पुष्टि कर सकता है। इसलिए, तथ्यों की प्रामाणिकता का आसानी से पता लगाया जा सकता है।
६. प्रश्नावली प्रणाली के अन्तर्गत, सूचनादाताओं से प्रतिक्रिया असंतोषजनक है। जिन सूचनादाताओं को प्रश्नावली भेजी जाती है, उन्हें भेजी जाने वाली अधिकांश जानकारी वापस नहीं आती है। यह सूचना देने वालों पर निर्भर है कि वे प्रश्नावलियों को शोधकर्ता को वापस कर दें, कुछ आलस्य और व्यय के कारण प्रश्नावली वापस नहीं की जाती हैं। जबकि अनुसूची प्रणाली में जहां तक प्रतिक्रिया का प्रश्न है, अनुसंधानकर्ता स्वयं स्थान पर उपस्थित है, अतः समस्त सूचनाएँ प्राप्त हो जाती हैं। वह सूचनादाताओं से अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करता है और इसे अपने रिकॉर्ड में रखता है।
७. प्रश्नावली तैयार करते समय, सब कुछ स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए। जहां कहीं व्याख्या की आवश्यकता होती है, स्पष्टीकरण भी दिया जाता है ताकि सूचना देने वाले को प्रश्न के संबंध में कोई भ्रम न हो। जबकि अनुसूचियों को सब कुछ स्पष्ट रूप से लिखने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि शोधकर्ता स्वयं जगह में मौजूद है। संदेह या शंका की स्थिति में वह सूचनादाता को स्पष्ट रूप से प्रश्न समझा सकता है।
८. प्रश्नावली प्रणाली में, शोधकर्ता का संबंध आमने-सामने नहीं होता है। सूचनादाता उनके व्यक्तित्व, निजी जीवन, उनके दर्शन और सिद्धांतों से पूरी तरह अनभिज्ञ होता है। यह केवल उसके बारे में कल्पनाएँ ही कर सकता है। जबकि अनुसूची प्रणाली में, शोधकर्ता का संबंध सीधे होता है। उनसे सीधे संपर्क कर वांछित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
९. प्रश्नावली प्रणाली का उपयोग केवल शिक्षित व्यक्ति ही कर सकते हैं। इसमें एक कठिनाई यह भी है कि पढ़े-लिखे लोगों का बौद्धिक स्तर विभिन्न श्रेणियों का होता है। कम पढ़े-लिखे लोग प्रश्नावली की भाषा शैली को नहीं समझ सकते। अगर वे थोड़ा भी समझें तो उनके द्वारा दिए गए उत्तर विश्वसनीय नहीं हो सकते। प्रश्नावली को स्तर के अनुसार नहीं बदला जा सकता है। जबकि अनुसूची प्रणाली के अन्तर्गत, उत्तरदाताओं के विभिन्न स्तरों से जानकारी प्राप्त की जा सकती है। शोधकर्ता के बौद्धिक स्तर को ध्यान में रखते हुए बातचीत की जाएगी। इसका यह लाभ है कि अनुसंधान से संबंधित वास्तविक जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सकती है।
१०. प्रश्नावली प्रणाली में, शोधकर्ता का सीधा संपर्क नहीं होता है, इसलिए उसे उत्तरदाताओं द्वारा भेजी गई प्रश्नावली के उत्तरों से संतुष्ट होना पड़ता है। कई सूचनादाता लापरवाही से प्रश्नावली भरते हैं। इनकी कोई विशेष रुचि नहीं होती है, इसलिए ये उस समय मन में आने वाली बातों को लिख लेते हैं। सीधा संबंध न होने के कारण उत्तरदाता बहुत सी बातें छिपाता है और गलत उत्तर लिखता है। जबकि अनुसूची प्रणाली अधिक महत्वपूर्ण और गहन जानकारी प्रदान करती है। यदि अनुसंधानकर्ता स्वयं बुद्धिमान, अनुभवी एवं होशियार हो तो वह अपने प्रभाव से सूचनादाताओं से गहनतम जानकारी प्राप्त कर सकता है। अनुसन्धानकर्ता का सीधा सम्बन्ध होने के कारण वह अपनी मनोवृत्तियों, प्रवृत्तियों, मनोभावों का अध्ययन कर उसके अनुसार व्यवहार कर महत्वपूर्ण एवं उपयोगी सूचनाएँ प्राप्त कर सकता है।
११. यह कम कीमत पर सूचना प्राप्त करता है, इसलिए यह अधिक लोकप्रिय है। जबकि अनुसंधानकर्ता को हर जगह जाना होता है, इसलिए खर्चा भी बहुत होता है। इसलिए अनुसूची प्रणाली को कम अपनाया जाता है।
FAQ
अध्ययन क्षेत्र विस्तृत होने पर भी प्रश्नावली प्रणाली में अधिक समय नहीं लगता है। जबकि अनुसूची प्रणाली में काफी समय खर्च होता है।