उत्तरदायित्व का अर्थ, उत्तरदायित्व की परिभाषा (uttardayitva)
सरल भाषा में, उत्तरदायित्व का अर्थ कर्तव्य के कार्य या पालन करने से है। यह एक प्रकार का दायित्व है जिसे पूरा करना संबंधित व्यक्ति का कर्तव्य है।
सरल भाषा में, उत्तरदायित्व का अर्थ कर्तव्य के कार्य या पालन करने से है। यह एक प्रकार का दायित्व है जिसे पूरा करना संबंधित व्यक्ति का कर्तव्य है।
समायोजन और आत्मसातीकरण दोनों अहम अवधारणाएं हैं, लेकिन समायोजन और आत्मसातीकरण में अंतर होता है। इस पोस्ट में, आप इस अंतर को समझेंगे।
समाजीकरण की तरह सात्मीकरण भी सीखने की एक प्रक्रिया है, लेकिन यह प्रक्रिया तभी शुरू होती है जब व्यक्ति अन्य संस्कृतियों के संपर्क में आता है।
सामाजिक समायोजन करने से पहले व्यक्ति को शारीरिक और जैविक समायोजन करना पड़ता है, जो कि अनुकूलन है क्योंकि जब कोई व्यक्ति पर्यावरण के अनुकूल नहीं हो पाता है।
प्रत्येक सामाजिक वर्ग में समूह की सामाजिक, आर्थिक या सांस्कृतिक स्थिति एक समान होती है, तभी वे अपना एक वर्ग बना पाते हैं।
सामाजिक स्तरीकरण वह व्यवस्था है जिसके अन्तर्गत समाज के विभिन्न समूहों को क्रमशः उच्च से निम्न की स्थिति में रखा जाता है।
प्रत्येक प्रस्थिति एक या अधिक भूमिकाओं से जुड़ी होती है। अतः व्यक्ति अपनी स्थिति के अनुसार ही अपने कार्यों का निष्पादन करता है।
बदलते सामाजिक परिवेश में सामाजिक संरचना और सामाजिक व्यवस्था समाज की दो ऐसी इकाइयाँ हैं जो मानव समाज को आकार देती हैं और उसकी नींव को मजबूत करती हैं।
मानव समाज की विशेषता क्या है? इस पोस्ट मानव समाज की विशेषताओं के बारे में बताएंगे।
'एक समाज' शब्द का प्रयोग एक विशिष्ट समाज के लिए किया जाता है जिसकी निश्चित भौगोलिक सीमाएँ होती हैं और जो अन्य समाजों से भिन्न होता है।
मानव एवं पशु समाज में अंतर को निम्नलिखित दो श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:-
जैविक या प्राणिशास्त्रीय अंतर,
सामाजिक-सांस्कृतिक अंतर
जिस इच्छा के लिए व्यक्ति उस इच्छा को पूरा करने के लिए उचित रूप से सुसज्जित होता है, उसे व्यक्ति की आवश्यकता माना जाता है।