वृहत् परंपरा और लघु परंपरा में अंतर स्पष्ट कीजिए?

भारत में वृहत् और लघु दोनों ही परंपराएं बहुत प्राचीन हैं और दोनों की अपनी-अपनी विशिष्ट विशेषताएं हैं। वृहत् परंपरा और लघु परंपरा में अंतर निम्नलिखित है :-

वृहत् परंपरा क्या है वृहत् परंपरा का अर्थ (vrihat parampara)

वृहत् परंपरा अभिजात वर्ग के थोड़े-से दार्शनिक और विचारशील लोगों द्वारा किया जाता है और धीरे-धीरे सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों द्वारा अपनाई जाती है।

लघु परंपरा क्या है? लघु परंपरा का अर्थ (laghu parampara)

छोटे गाँवों में पाई जाने वाली जीविकोपार्जन की क्रियाएँ एवं शिल्प, गाँव तथा उससे सम्बन्धित संगठन तथा प्रकृति पर आधारित धर्म लघु परंपरा कहलाती हैं।

जजमानी व्यवस्था क्या है? अर्थ, परिभाषा (jajmani vyavastha)

जजमानी व्यवस्था में सभी विषयों का कार्यक्षेत्र एक समान नहीं होता, परन्तु उनकी सेवाओं की प्रकृति के अनुसार यह क्षेत्र कमोबेश विस्तृत होता है।

भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण का वर्णन करें?

भारत में पाई जाने वाली प्रजातियों की संख्या के बारे में विद्वानों में एक मत नहीं है। प्रमुख विद्वानों द्वारा भारतीय प्रजातियों का वर्गीकरण इस प्रकार है-

अप्रतिमानता क्या है? अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं (Anomie)

आधुनिक समाजशास्त्रीय अवधारणाओं में, अप्रतिमानता की अवधारणा (जिसे विसंगति, आदर्शहीनता, नियमहीनता या "एनोमी" के रूप में भी जाना जाता है) का महत्वपूर्ण स्थान है।

प्रजाति किसे कहते हैं? प्रजाति का अर्थ एवं परिभाषा (prajati)

प्रजाति एक जैविक अवधारणा है। यह मनुष्यों के एक समूह से है जिनके पास समान शारीरिक और मानसिक गुण होते हैं और इन लक्षणों को उनकी विरासत के आधार पर प्राप्त करते हैं

जेंडर क्या है? जेंडर का अर्थ और परिभाषा (Gender kya hai)

जेंडर एक सामाजिक-सांस्कृतिक शब्द है। सामाजिक-सांस्कृतिक निर्माण से संबंधित, जेंडर समाज में 'पुरुषों' और 'महिलाओं' के कार्यों और व्यवहारों को परिभाषित करता है।

संपत्ति क्या है? संपत्ति का अर्थ एवं परिभाषा, विशेषताएं

औद्योगिक समाजों में, संपत्ति का अर्थ आमतौर पर चल संपत्ति और अचल संपत्ति होता है। संपत्ति के उत्पादन और वितरण की प्रणालियाँ आर्थिक संस्थानों का निर्माण करती हैं।

धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता का अर्थ एवं परिभाषा

धर्मनिरपेक्षता की अवधारणा में उन सिद्धांतों के लिए कोई स्थान नहीं है जो सामाजिक जड़ता जैसे भाग्यवाद और दैवीय अनुनाद को प्रतिपादित करते हैं।