प्रस्तावना :-
वर्षा जल संग्रहण का सामान्य अर्थ वर्षा जल को इकट्ठा करना है। विशेष शब्दों में कहें तो यह भूजल की पुनःपूर्ति को बढ़ाने की एक तकनीक है। इस तकनीक में स्थानीय स्तर पर वर्षा जल से बिना किसी प्रदूषण के पानी को इकट्ठा किया जाता है और फिर भूमिगत किया जाता है।
इससे कमी के दिनों में स्थानीय घरेलू मांग को पूरा किया जा सकता है। अब सवाल यह उठता है कि जल संचयन हमारे लिए क्यों जरूरी है? इसके लिए मुख्य रूप से तीन कारक जिम्मेदार हैं।
- पृष्ठीय जल की कमी।
- भूजल पर बढ़ती निर्भरता।
- तेजी से नगरीकरण।
वर्षा जल संग्रहण विधि :-
आवश्यकता, सुविधा एवं परिस्थिति के आधार पर वर्षा जल संग्रहण के लिए विभिन्न विधियाँ अपनाई जा सकती हैं। वर्षा जल संग्रहण की विधियाँ विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं –
गड्ढे या गर्त बनाना –
उथले जलग्रहण क्षेत्रों में पानी को पुनर्भरण करने के लिए छोटे-छोटे गड्ढे बनाकर पानी को इकट्ठा किया जा सकता है। ये गड्ढे 1-2 मीटर चौड़े और 2-3 मीटर गहरे बनाए जा सकते हैं।
इनका आकार किसी भी तरह का हो सकता है। इन गड्ढों को पत्थर, बजरी, रेत आदि से भर दिया जाता है। इससे बारिश का पानी आसानी से रिसता है।
खाइयां बनाना –
निचले क्षेत्रों में जहां छिद्रयुक्त चट्टानें पाई जाती हैं, वहां 0.5 से 1 मीटर चौड़ी, 1 से 1.5 मीटर गहरी और 10 से 15 मीटर लंबी खाइयां बनाई जाती हैं, जिन्हें रेत, बजरी आदि से भर दिया जाता है। खाइयां आमतौर पर भूमि की ढलान के समानांतर बनाई जानी चाहिए।
हैंडपंप –
भूमिगत जल की कमी वाले क्षेत्रों में, एकत्रित वर्षा जल को चालू हैंडपंप के माध्यम से फ़िल्टर और उपयोग किया जा सकता है।
कुओं का उपयोग –
सूखे, बंद और अप्रयुक्त कुओं का उपयोग वर्षा जल संचयन के लिए किया जा सकता है।
FAQ
वर्षा जल संग्रहण की विधियों का वर्णन कीजिए?
- गड्ढे या गर्त बनाना
- खाइयां बनाना
- हैंडपंप
- कुओं का उपयोग