उद्विकास एवं प्रगति में अंतर udvikas evam pragati mein antar

प्रस्तावना :-

उद्विकास एवं प्रगति में अंतर है। दोनों ही परिवर्तन के अलग-अलग रूप हैं।

उद्विकास एवं प्रगति में अंतर :-

उद्विकास एवं प्रगति में अंतर इस प्रकार है-

  • उद्विकास एक वैज्ञानिक अवधारणा है, जबकि प्रगति एक नैतिक अवधारणा है।
  • उद्विकास किसी भी दिशा में परिवर्तन है, जबकि प्रगति बेहतरी के लिए परिवर्तन है।
  • उद्विकास एक मूल्य-निरपेक्ष अवधारणा है, जबकि प्रगति एक मूल्य-सापेक्ष अवधारणा है।
  • उद्विकास का आधार जैविक सिद्धांत हैं। प्रगति का आधार सामाजिक मूल्य और आदर्श हैं।
  • उद्विकास की प्रक्रिया सरल से जटिल की ओर बढ़ती है। जबकि प्रगति के मामले में ऐसा नहीं है।
  • उद्विकास की प्रक्रिया की गति धीमी होती है, जबकि प्रगति की प्रक्रिया की गति धीमी या तेज़ हो सकती है।
  • उद्विकास का परिप्रेक्ष्य वैश्विक है, जबकि प्रगति का परिप्रेक्ष्य किसी देश और व्यवस्था तक सीमित होता है।
  • उद्विकास का क्षेत्र विशाल है, जबकि प्रगति का क्षेत्र सीमित है, क्योंकि हर परिवर्तन को प्रगति नहीं कहा जा सकता।
  • उद्विकास का स्वरूप हमेशा एक जैसा रहता है। जबकि प्रगति की धारणा समय और स्थान के अनुसार बदलती रहती है।
  • उद्विकास की प्रक्रिया प्राकृतिक नियमों के अनुसार स्वचालित रूप से संचालित होती है, जबकि प्रगति सचेत प्रयासों का परिणाम है।
  • उद्विकास की प्रक्रिया समाज के सदस्यों के दुख की चिंता किए बिना जारी रहती है। जबकि प्रगति का काम मानवीय सुख को बढ़ाना है।
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इस ब्लॉग का उद्देश्य छात्रों को सरल शब्दों में और आसानी से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराना है।

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