ग्रामीण परिवार की समस्त शक्ति उस मुखिया में केन्द्रित होती है जिसे परिवार का कर्ता कहा जाता है। कर्ता पूरे परिवार के बारे में सभी प्रकार के निर्णय लेता है।
यह अनुमान लगाया जाता है कि मानव जाति और संस्कृति के विकास के क्रम में परिवार की उत्पत्ति एक संयुक्त परिवार के रूप में हुई।
समाज के सभी स्तरों में, चाहे वह निम्न स्तर का हो या उच्च स्तर का, परिवार संगठन अवश्य होता है। व्यक्तित्व का विकास सामाजिक संबंधों से होता है।