वृहत् परंपरा अभिजात वर्ग के थोड़े-से दार्शनिक और विचारशील लोगों द्वारा किया जाता है और धीरे-धीरे सभी वर्गों और क्षेत्रों के लोगों द्वारा अपनाई जाती है।
छोटे गाँवों में पाई जाने वाली जीविकोपार्जन की क्रियाएँ एवं शिल्प, गाँव तथा उससे सम्बन्धित संगठन तथा प्रकृति पर आधारित धर्म लघु परंपरा कहलाती हैं।
समाज में प्रचलित विचारों, रूढ़ियों, मूल्यों, विश्वासों, धर्मों, रीति-रिवाजों आदि के संयुक्त रूप को मोटे तौर पर परंपरा कहा जा सकता है।