निर्देशात्मक और अनिदेशात्मक परामर्श अलग-अलग साधन हैं। फिर भी साधन अंतरों को समझना वांछनीय है। निदेशात्मक परामर्श तथा अनिदेशात्मक परामर्श में अंतर इस प्रकार हैं
परामर्श दाता जो निर्देशात्मक या अनिर्देशात्मक विचारधाराओं से सहमत नहीं हैं, उन्होंने समन्वित परामर्श नामक एक अन्य प्रारूप विकसित किया है।
अनिदेशात्मक परामर्श में रोग का निदान आवश्यक नहीं है क्योंकि यह सेवार्थी से संबंधित पूर्व सूचना एकत्र नहीं करता है और कोई परीक्षण नहीं होता है।
निर्देशात्मक परामर्श में प्रत्यक्ष और व्याख्यात्मक विधियों की सलाह दी गई है। इस प्रकार के परामर्श में व्यक्ति की बजाय समस्या पर ध्यान देना चाहिए।
यह किसी व्यक्ति विशेष को नहीं बल्कि किसी भी व्यक्ति, बच्चे को किसी भी समय और उम्र में दिया जा सकता है। समूह निर्देशन निर्देशन कार्यक्रम का ही एक भाग है।
व्यक्तिगत निर्देशन की आवश्यकता विशेष रूप से विघटन या असामंजस्य की स्थितियों से जुड़ी हुई है। अक्सर पुराने और नए मूल्यों के बीच संघर्ष होता है।
व्यक्तिगत निर्देशन से तात्पर्य किसी व्यक्ति को उसके जीवन के सभी क्षेत्रों और दृष्टिकोणों के विकास को ध्यान में रखते हुए दी जाने वाली सहायता से है।
मानव व्यक्तित्व की जटिलता और व्यावसायिक क्षेत्र में हो रहे तेजी से हो रहे परिवर्तनों को ध्यान में रखते हुए व्यावसायिक निर्देशन की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
ऐसी परिस्थितियाँ तथाकथित मानव संसाधनों के विकास में ही बाधक होंगी। इसलिए आज व्यावसायिक निर्देशन का महत्व पहले से ज्यादा बढ़ गया है।
व्यावसायिक निर्देशन किसी व्यक्ति को व्यवसाय चुनने, तैयार करने, संलग्न करने और उसे उन्नत करने में मदद करने की प्रक्रिया है।